इकतारा बोले सुन सुन
क्या बोले इकतारा !!
ऊपर वाले तेरी दुनिया का
है हर खेल निराला...
झूठ यहां पर सीना ताने सच्चाई दब जाती
विह्ववल मानवता उलट व्यवस्था देख देख घबराती...
इकतारा बोले सुन सुन
क्या बोले इकतारा !!
भीड़ की धक्का-मुक्की में मानव यहाँ अकेला
हर एक हृदय में लगा हुआ है सन्नाटो का मेला...
इकतारा बोले सुन सुन
क्या बोले इकतारा !!
मजबूरी के नाम पे
निर्बल तन मन शोषण देखा
लज्जा हो गयी तार तार अपमानित होती लक्ष्मण रेखा
इकतारा बोले सुन सुन
क्या बोले इकतारा !!
No comments:
Post a Comment