Monday, June 15, 2020

पश्चाताप (कहानी )
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आठ वर्षीय अनुराग ने माँ के गले में बाहें डालते हुए पूछा "माँ मेरे सब फ्रेंड्स पिकनिक जा रहे हैं मैं भी जाऊं."
"नहीं बेटा आप हमारे इकलौते बेटे हो मम्मा पापा को डर लगता है, आपको अकेले बाहर भेजते हुए."
अनुराग की माँ ने कहा.
"जब पापा की छुट्टी होगी हम तीनों चलेंगे."
"पर फ्रेंड्स तो अभी जा रहे हैं."
नन्हा अनुराग उस दिन कहना चाहता था कि "मुझको अपने दोस्तों साथ ही मज़े करने हैं. आप के साथ तो कभी भी जा सकता हूं."पर कह नहीं पाया
 उस के घर में अनुशासन हर बात में दिखाई देता है.
वो बहुत ही सभ्य बच्चा है.
उसके माता पिता को बड़ा गर्व है कि उनका बेटा उनकी हर बात मानता है.
बाकी बच्चों की तरह ज़िद नहीं करता है.
बस अभी कुछ दिनों पहले एक डॉग के पप्पी को देख कर मचल गया था. पर प्यार से समझाया मान गया.
लोगों के बच्चे कितने फ़िजूल खर्च हैं. पर उनका बेटा कभी कोई फरमाइश ही नहीं करता है.
उन लोगों को टी वी देखने का भी शौक़ नहीं है. दोनों पति पत्नी अपने काम में लगे रहते हैं. सादा जीवन उच्च विचार.
जिसकी वजह से उनका बेटा पढ़ाई लिखाई में हमेशा अव्वल ही रहा है.माता पिता दोनों ही शिक्षक हैं.
संस्कारों पर बेहद ज़ोर देते हैं.
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समय बीता अनुराग ने इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले लिया है यहीं उसे अंजलि मिल गई, एक दम मस्तमौला, बिन्दास लड़की जहाँ खड़ी हो जाए, वहां फूल खिल जाएं. ठहाकों के शोर उसके साथ साथ चलते हैं.
अंजलि के घर का वातावरण बहुत ही खुला है.
धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती प्रेम में परिवर्तित हो रही है.
अंजलि का आना जाना अनुराग के घर होने लगा है.
अनुराग की मां को वो बहुत पसंद है.
अगर अंजलि क्रिश्चियन होती तो वो कब का उसका हाथ अपने बेटे के लिए मांग लेती .
किन्तु हिन्दू लड़की से विवाह के बारे में वो सोच भी नहीं सकती हैं. इससे प्यारी लड़की अनुराग के लिये वो भी नहीं ढूंढ पाएंगी.पर उन्हें पता है अनुराग के पापा किसी भी हाल में इस सम्बन्ध के लिये नहीं मानेंगे.
"दुनिया में क्या मुंह दिखाएंगे वो! फ़िर क्या अपने यहाँ अच्छी लड़कियों की कमी है."
इससे पहले कि वो किसी धर्म संकट में पड़ें उन्होंने अनुराग के लिये रिश्तों की खोज शुरू कर दी.
तभी अनुराग की पोस्टिंग दो वर्ष के लिये अमेरिका हो गई.इसलिए शादी की बात बीच में ही रह गई. एक पल भी आँखों से ओझल ना होने वाले बच्चे को विदेश भेज दिया.
बड़े भारी मन से उसको विदा किया. हालांकि जब से वो बाहर गया है उन दोनों का ख़याल और भी ज्यादा रखने लगा है.डॉलर्स में मिली तनख्वाह से अनुराग ने माता पिता के घर की काया पलट कर दी है.
अपने बचपन में जिस जिस चीज़ की उसे तमन्ना थी सब कुछ माता पिता के घर भिजवा दिया है.
अब उनकी कलाई पर एक से एक महंगे ब्रांड्स की घड़ी सुशोभित होने लगी है. बैग्स, जूते, बेल्ट्स, मोबाईल, परफ्यूम्स के पार्सल्स हर तीसरे दिन आते हैं. कुछ दिनों पहले मूवी के टिकट भी भेजे थे बेटे ने. जीवन को ऐसे भी जी सकते हैं, उन दोनों पति पत्नी को तो पता ही नहीं था.

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दो वर्ष पश्चात् --------
जब अनुराग घर आया और उसने माता पिता को बताया कि वो अंजलि से प्रेम करता है.
उसनेअपने माता पिता से अंजलि से विवाह की अनुमति मांगी है.
किन्तु दोनों ने साफ़ मना कर दिया कि ये संभव नहीं हो सकता है.
हम लोग बिरादरी में क्या मुहं दिखाएंगे.
अनुराग ने कहा "पापा क्या मेरी खुशियाँ आपके लिये कोई माने नहीं रखतीं. क्या मैं आपकी दुनिया नहीं हूं."
"मैं तो समझता था कि हम तीनों ही एक दूसरे की दुनिया हैं ये मेरी गलतफहमी थी."
"माँ आप ही पापा को समझाइये."
माँ तो तब समझाती जब उसे ये बात खुद समझ में आती.
क्लेश लम्बा खिंच गया है.
अब बेटा माँ बाप से बात ही नहीं कर रहा है. घर में दो भाग हो गए हैं एक ओर माँ पापा दूसरी ओर अनुराग अकेला है.वो पछता रहा है इंडिया वापस ही क्यों आया.
घर की घुटन असहनीय हो चली है. वो कोशिश कर रहा है कि किसी भी तरह इस वातावरण से बाहर निकल आये.
उधर अंजलि ने ज़िद पकड़ी है शादी तो अंकल आंटी के आशीर्वाद के साथ ही करेगी.
वो खिसियाई मुस्कान लाकर बोला" तब तो हमारी शादी नहीं हो पाएगी. मुझे पता है मेरे माँ बाप समाज दुनिया से बहुत डरते हैं."
"वो गलत भी नहीं हैं. उस ज़माने के लोग ऐसे ही होते हैं .फ़िर टीचर्स ज्यादा आदर्शवादी होते हैं."
अंजलि ने अनुराग को धैर्य दिलाया.
आज अनुराग ने आखिरी प्रयास करने की सोची है.
घर की चुप्पी तोड़ते हुए वो अपनी माँ के पास गया और बोला "मम्मा आपसे एक बात शेयर करना चाहता हूं.
मैं और अंजलि यू एस में एक साथ ही रह रहे थे. अब हमारा अलग होना मुश्किल है."
माँ की आँखों में आँसू आ गए और बोली "तुम्हें पता है हमारे मजहब में शादी से पहले साथ रहना पाप है."
"पापा सुनेंगे तो उन्हें गहरा सदमा लगेगा."
"तू अपने संस्कार कैसे भूल गया? ताज्जुब है."
माँ अब ज़ोर से रोने लगी अनुराग की हिम्मत नहीं हुई कुछ कहने की.
साल दो साल और गुज़रे अंजलि की पोस्टिंग
न्यूज़ीलैण्ड हो गई. जाने से पहले उन लोगों से मिलने आयी थी.आखिरकार वे दोनों कभी उसके भी गुरु रहे थे.
उसने मन ही मन फैसला कर लिया थाअब वो कभी इंडिया नहीं लौटेगी.
इन तीनों को ही उसकी वजह से दुःख पहुंचा है.
अजीब हिमशिलायें हैं. जो पिघलती ही नहीं.
हर रिश्ते को नाम मिले ये ज़रूरी तो नहीं है. अपनी तरफ़ से उसने अनुराग को अलविदा कह दिया है.
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दिन गुज़रते जा रहे हैं अनुराग अंजलि के जाने के बाद खुद को बिलकुल अकेला महसूस करने लगा है. घंटों गुमसुम बैठा रहता है.खाना पीना सोना सब कुछ डिस्टर्ब हो गया है. वो डिप्रेशन कीओर जा रहा है.
उसने उस दिन ना जाने क्या सोच कर फेसबुक खोला देखा.अंजलि की एक पोस्ट पड़ी है.
जिसमें उसने अनुराग का नाम ना लिखते हुए भी उसने अपने दिल का हाल बयां कर दिया है.
इतनी खुशमिजाज़ लड़की को क्या हो गया ?
हर रोज़ अब वो फेसबुक पर अंजलि की पोस्ट पढ़ता है.बहुत 
चार    तक अंजलि का पांच ह बाद अंजलि ने अपनी सगाई की फोटोज़ अपलोड किये हैं.
जिन्हें देखकर घबरा गया है अनुराग.
वो दौड़कर अपने पापा के पास पहुंचा पापा ये देखिए अंजलि ने क्या किया?
उसके पापा ने कहा हुँ..अभी देखता हूं.
फ़िर नज़र भर देखने के बाद उसे झिड़क कर बोले तुम भी उसे भूल जाओ बरखुरदार.
इसी लड़की के पीछे पिछले कई महीने से घर में दंगल कर रहे थे.
अब देख लिया.
अनुराग गुस्से और क्षोभ से भर उठा, आख़िर किस मिट्टी के बने हैं पापा.
वो अपनी माँ के पास गया वे किचेन में सुबह के खाने की तैयारी में व्यस्त थीं.
उनसे भी दिल का हाल कहना उचित नहीं लगा उसको.
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रात्रि के दो बजे अचानक कार स्टार्ट होने की आवाज़ से सन्नाटे का सीना जैसे चीर दिया था किसी ने.
अनुराग कार लेकर बाहर निकल गया. सुबह तक वापस नहीं आया. अब माता पिता उसे ढूँढ़ते घूम रहे हैं. ना जाने किस मनः स्थित से गुज़र रहा है?
मन अनहोनी घटना से डर रहा है.
दो चार दिन गुज़र गए फ़िर पुलिस वालों को उसकी गाड़ी पहाड़ी से नीचे गिरी मिली. गिरते वक्त आग लग गई थी.
अनुराग की लाश पहचानी भी नहीं जा पा रही थी.
उसके माता पिता की हालत बेहद ख़राब हो गई है . दोनों के पास आज पश्चाताप के आंसुओं के अलावा कुछ नहीं बचा है .
अब आये दिन डॉक्टर के यहाँ चक्कर लगने लगे हैं.
डॉक्टर ने कहा मेरी मानिये तो घर में एक छोटा सा पप्पी ले आइये आपका मन बदल जाएगा.कोई काम मिल जाएगा आप लोगों को.
"किस मुँह से ले आएं डॉग? मेरे बेटे ने जीवन में एक, दो ही फरमाइशें की थीं वो भी मैंने पूरी नहीं की." अनुराग की माँ याद कर कर के दुःखी होती हैं.
पचपन वर्ष की उम्र में ही बेटे के दुःख ने अस्सी वर्ष की आयु जैसा बुढ़ापा ला दिया है.घर के हर कोने में अनुराग का लाया सामान सजा है.
बस नहीं है तो उनका लाडला अनुराग नहीं दिखाई देता है.
अनुराग की माँ को किसी चमत्कार की आशा है. अजीब बहकी बहकी बातें करती हैं कि एक दिन उनका बेटा अवश्य लौटेगा.
उसके पिताजी हर स्टूडेंट के माता पिता को समझाते हैं कि "प्लीज़ अपने बच्चों को खुला वातावरण दीजिये."
"उन पर रोक टोक बन्धन मत लगाइये."
"उनसे दोस्ताना व्यवहार रखिये."
"उनकी हंसी और किलकारियों से अपना घर भरिये."
"बच्चों की ख़ुशी ही सबसे बड़ी उपलब्धि है. वे ही आपकी दुनिया हैं. बाकी बातें सब बेकार हैं."
"अगर हमने अनुराग की बात सुनी होती, तो शायद वो आज हमारे बीच होता."
मैं हर माता पिता को ये सन्देश देना चाहता हूं कि आपके बच्चे क्या करना चाहते हैं उन्हें करने दीजिये. वो अपनी संभावनाएं स्वयं खोजें. यदि कोई नया रास्ता चुनते हैं तो उस राह पर चलने दीजिए. जीवन आगे बढ़ने का नाम है.
नवजीवन की सुबह का मिलकर स्वागत करिये. जो गुज़र गया है लौट कर कभी नहीं आता.
बोलते बोलते उनका गला रुंध जाता है.
किन्तु वे फिर एक नये स्कूल में चल पड़ते हैं.
किसी और अनुराग के जीवन बचाने के लिये. यही एक ढंग है जिससे वो पश्चाताप कर सकते हैं.
समाप्त

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