लड़कियाँ
######
नये ऑफिस में लड़कियाँ ज़्यादा थीं. नहीं... नहीं... ये कहना ग़लत होगा.... दरअसल यहाँ सिर्फ़ वो अकेला मर्द है. बाक़ी सब औरतें. उसने हेड ऑफिस में अपने बॉस से रिक्वेस्ट की है जैसे भी हो इस महिला बहुल प्रतिष्ठान से उसे निकाल लिया जाए, या एक आध पुरुष कोऔर भेज दिया जाए.
वो कुछ दिनों पहले ही यहाँ आया है.
ये लड़कियाँ पूरे समय या अपनी सास की बातें करती रहती हैं या किसी खाने की रेसिपी डिस्कस करतीं , और कभी कभी कपड़ों की बातें करती हैं. हद तो तब हो जाती जब नेटफ्लिक्स की स्टोरी सुनाई जा रही होती है.
पीठ पीछे एक दूसरे के स्टाइल की चुगली करने वाली लड़कियाँ हैरत की बात है कि लंच टाइम में सब एक हो जाती हैं . मिल बांट कर खाना खाया जाता.पीछे की दुकान से समोसे मंगा कर खाए बिना उनका खाना पूरा ना होता है.
पर उसे क्या वो तो मूक दर्शक बना हुआ है.
"जो जी चाहे करो, प्रजातंत्र है, सब अपनी मर्जी के मालिक हो बस इतनी कृपा करना देवियों जिस कम्पनी की तनख्वाह ले रही हो उसका भी कुछ काम कर देना." वो मन ही मन सोचता रहता है.
उसकी आदत है कम बोलने की और अपना काम दुरुस्त रखने की. मन ही मन गौरान्वित होता है बॉस ने उसे जानबूझ कर भेजा है इस ऑफिस में. इन लड़कियों की मदद करने के लिए. पुरुषोचित अभिमान से सीना चौड़ा हो जाता है उसका.
काम करने के गजब तरीके हैं , उन लड़कियों के.
पहली बार जब कुछ नया काम या नयी ऐप खोलनी होती उनमें से एक दो घबरा जातीं, एक से दूसरे के डेस्कटॉप पर काम ट्रान्सफर करतीं, मक्खियों की तरह भिन भिन करतीं और फ़िर काम पूरा करने पर चैन की सांस ऐसे लेतीं मानो एवेरेस्ट की चढ़ाई फतह कर ली हो.
वो सोचता है जितनी देर आपस में भिनभिनाती हो. अगर उतनी देर सेटिंग्स पर जाकर, देखो, इंस्ट्रक्शन पढ़ो समझो, सारा काम सीख जाओगी.
तभी उसकी तन्द्रा टूटी.
"सर !आपको पता है फ्राइडे हमारे ऑफिस में कैज़ुअल्स
पहन के आते हैं. आप जींस पहन कर आइये ना सर."
इन लड़कियों में जो बहुत बातूनी थी उसने कहा.
वो उसकी बात हवा में उड़ाते हुए रुखाई से बोला "हेडऑफिस से फ़ोन आया था. डाएरेक्टर साहब को रिपोर्ट करना है. अगर आपका काम पूरा हो गया हो तो हम निकलें."कहते कहते वो थोड़ा सख्त हो गया था.
लड़की ने भाँप लिया और बोली "जी सर !बस एक नज़र डाल लूँ."
उसके चेहरे पर पड़ती शिकन देख कर वो हँस पड़ी. "सर काम पर नहीं, शीशे पर नज़र डालनी है.जरा
टचिंग कर के आती हूँ. काम पूरा है सर!"
"अजीब बेशर्म लड़की है.कुछ भी कह लो इस पर जूं नहीं रेंगने वाली. एक आदत ख़ास है इसमें कभी पूछेगी नहीं. हमेशा बताएगी."
कार में बैठते ही लड़की का रिकॉर्ड चालू हो गया.
"यहाँ पर आने से पहले दो साल तक विदेश में थी सर !
फ़िर लौट आयी."
"क्यों पी आर नहीं मिला क्या?"वो बोला
"जी नहीं ये बात नहीं है. पी आर था, नौकरी भी ठीक ठाक थी, मेरे हस्बेंड ने कहा वापस चलते हैं तो मैंने भी अपना मन बदल लिया. यहाँ पर सारे लोग हैं. मेरे मम्मी पापा, मेरे इनलॉज़. हम दोनों के फ्रेंड्स. फ़िर काम वाली बाइयाँ."
"दरअसल मुझे भीड़ अच्छी लगती है, इतनी कि बस टकराते टकराते बचो."
"ये बात भी नहीं थी बात कुछ और ही थी मेरे बेटे को अपने रंग को लेकर हीनभावना आ गई थी. उसने कहा कि टीचर गोरे (अंग्रेज )बच्चों को ज़्यादा प्यार करती है.
बस सर !मैंने अपना मन बदल दिया. वापस आ गए हमदोनों."
"बुरा नहीं लगता. आपको."उसने लड़की से पूछा.
"बुरा क्यों लगेगा?"
"अपना देश है जैसा भी है. टेढ़ा है पर मेरा है."
इतने में लाल बत्ती पर कार रुक गई थी. लड़की ने फ़टाफ़ट अपना बैग खोला और एक पोटली नुमा पर्स निकाला. थोड़ा सा कार का शीशा नीचे किया जो भी बच्चे महिलायें भीख माँग रहे थे. उन्हें पैसे बाँटने लगी.
तभी कार चल पड़ी.
उसने देखा एक छोटा लड़का सड़क से फ़्लाइंग किस उछाल रहा था. जिसे इसने लपक कर कैच कर लिया.
वो बोला"कभी भी इन लोगों को पैसे नहीं देने चाहिए.ये आपका बैग छीन कर भाग सकते हैं. "
"जी सर सही कह रहे हैं पर क्या है ना अब परिस्थतियाँ बदल गई हैं."
"क्या पता कौन किस मजबूरी में भीख माँग रहा हो." "इसलिये मैंने अपने विचारों को थोड़ा बदल लिया है. मेरा छोटा सा कंट्रीब्यूशन हो सकता है किसी की भूख मिटा दे."उसने पैसों की पोटली फ़िर अपने बैग में रख ली.
अब वो ड्राइवर से बोली भैया जी गाना बदलिए. कुछ फड़कता हुआ सा म्यूज़िक लगाइये ना.
तभी उसके बच्चे की कॉल आ गई थी. उसने म्यूज़िक धीरे करवाया पूरा रास्ता बच्चे का होमवर्क कराने में काट दिया .
सर !बहुत शरारती है. मेरा बेटा बिना मेरे साथ बैठे कुछ नहीं करता. इसलिये रोज़ आधा घंटा ऑफिस के साथ थोड़ी बेवफ़ाई करती हूँ. सर ! आखिरकार नौकरी भी तो फैमिली के लिए ही कर रही हूँ.
हाँ हुं हाँ, करते उसनेअपने दिमाग़ और ज़ुबान में मानो संतुलन बनाया.
वो तो पूरी तन्मयता से नौकरी कर रहा है. पत्नी और बच्चे उसकी राह देख कर थक चुके हैं.
उसका बच्चा भी आठ वर्ष का है. पर स्कूल से आने के बाद उसकी दिनचर्या का उसे पता नहीं है. रात्रि के भोजन पर ही उनकी मुलाक़ात होती है.
बिटिया ज़रूर लाड़ दिखा जाती है.
सर ! लड़की ने उसके विचारों को लगाम दी.
"हाँ बोलो."
"आप भी हमारे साथ ही लंच किया करिये.
अच्छा नहीं लगता आप अकेले बैठते हैं."
"मैं ज़्यादा कुछ नहीं खाता. हेवी ब्रेकफास्ट करता हूं. लंच तो बस नाम मात्र का."
"सर ! कल आइये हमारे साथ. देखिये अगर अच्छा ना लगे तो फ़िर नहीं कहूँगी."
*******
अब एक बार सिलसिला चल पड़ा तो ख़त्म ना हुआ.... दूर से जैसी दिखती थीउसके विपरीत अन्दर से बहुत संवेदनशील दुनिया थी इन लड़कियों की.
कोई टूटी टांग वाली पड़ोसी ऑन्टी को पूड़ी छोले पकड़ा कर आ रही है.
तो एक शाम को अपनी सहेली के तलाक के लिए वकीलों के चक्कर काट रही है.
यहाँ से घर जाकर किसी को ननद को मेहंदी लगवाने ले जाना है.
किसी को बच्चे को साईकिल के चार राउंड लगवाने हैं.
किसी के घर मेहमान आए पड़े हैं. जाते ही नहीं.
फ़िर भी ऑफिस में बर्थडे, प्रमोशन, बच्चे का रिज़ल्ट, हस्बेंड का बर्थडे, शादी की सालगिरह हर दिन लंच टाइम पर एक उत्सव है. इन लड़कियों का.
फ्राइडे को इस बात का जश्न कि शनिवार, इतवार छुट्टी है.
क्या कमाल की दुनिया है.
*******
सब के पास ढेरों काम हैं ऑफिस से पहले भी और घर जाकर भी.
ऑफिस के काम में भी पूरी भागीदारी है.
उसके विचार बदलने लग पड़े हैं.
उसकी हिचक भी निकलती जा रही है. अब उसे नहीं लगता कि वो ऑफिस में अकेला मर्द है.
घर में पत्नी भी खुश, वो रोज़ घर जाकर बताता है कि खाना कितना अच्छा बना था .
ये तारीफ़ करना भी इन्हीं देवियों ने सिखाया है.
आज फ्राइडे है उसने अपनी ब्लू जींस पहनी, पत्नी देखकर हैरान हुई आप तो ऑफिस जा रहे हैं ना.
"हाँ तो क्या हुआ? कभी कभी चेंज अच्छा लगता है."
"ये भी सही है."पत्नी ने ऊपरी तौर पर सहमति जताई. जबकि वो जानती थी कि वो कितना जिद्दी है. अपने कपड़ों को लेकर.
वो भी झेंप गया था. पर झटके से घर से निकल लिया.
रास्ते में बॉस का फ़ोन आ गया. वो बोले "तुम्हारा ट्रांसफर कर दूँ वापस आना चाहोगे."
उसको मानो झटका सा लगा. "जैसा आप कहें मुझे तो जो आदेश मिलेगा वही पालन करूँगा."
"नहीं तुम कह रहे थे ऑफिस में खाली लड़कियाँ हैं."
"सर ! लड़कियाँ ही तो हैं. क्या फर्क पड़ता है? मुझे तो अब अच्छा लगता है. रौनक वाली जगह है सर !"
"हा हा हा उसके बॉस की हँसी गूँज उठी. एक्चुअली ये बेस्ट पोस्टिंग है तुम्हारी."
"जी सर ! आप ठीक कहते हैं. यहाँ सीखने को बहुत कुछ है."
वो मुस्कुरा दिया था.
समाप्त
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नये ऑफिस में लड़कियाँ ज़्यादा थीं. नहीं... नहीं... ये कहना ग़लत होगा.... दरअसल यहाँ सिर्फ़ वो अकेला मर्द है. बाक़ी सब औरतें. उसने हेड ऑफिस में अपने बॉस से रिक्वेस्ट की है जैसे भी हो इस महिला बहुल प्रतिष्ठान से उसे निकाल लिया जाए, या एक आध पुरुष कोऔर भेज दिया जाए.
वो कुछ दिनों पहले ही यहाँ आया है.
ये लड़कियाँ पूरे समय या अपनी सास की बातें करती रहती हैं या किसी खाने की रेसिपी डिस्कस करतीं , और कभी कभी कपड़ों की बातें करती हैं. हद तो तब हो जाती जब नेटफ्लिक्स की स्टोरी सुनाई जा रही होती है.
पीठ पीछे एक दूसरे के स्टाइल की चुगली करने वाली लड़कियाँ हैरत की बात है कि लंच टाइम में सब एक हो जाती हैं . मिल बांट कर खाना खाया जाता.पीछे की दुकान से समोसे मंगा कर खाए बिना उनका खाना पूरा ना होता है.
पर उसे क्या वो तो मूक दर्शक बना हुआ है.
"जो जी चाहे करो, प्रजातंत्र है, सब अपनी मर्जी के मालिक हो बस इतनी कृपा करना देवियों जिस कम्पनी की तनख्वाह ले रही हो उसका भी कुछ काम कर देना." वो मन ही मन सोचता रहता है.
उसकी आदत है कम बोलने की और अपना काम दुरुस्त रखने की. मन ही मन गौरान्वित होता है बॉस ने उसे जानबूझ कर भेजा है इस ऑफिस में. इन लड़कियों की मदद करने के लिए. पुरुषोचित अभिमान से सीना चौड़ा हो जाता है उसका.
काम करने के गजब तरीके हैं , उन लड़कियों के.
पहली बार जब कुछ नया काम या नयी ऐप खोलनी होती उनमें से एक दो घबरा जातीं, एक से दूसरे के डेस्कटॉप पर काम ट्रान्सफर करतीं, मक्खियों की तरह भिन भिन करतीं और फ़िर काम पूरा करने पर चैन की सांस ऐसे लेतीं मानो एवेरेस्ट की चढ़ाई फतह कर ली हो.
वो सोचता है जितनी देर आपस में भिनभिनाती हो. अगर उतनी देर सेटिंग्स पर जाकर, देखो, इंस्ट्रक्शन पढ़ो समझो, सारा काम सीख जाओगी.
तभी उसकी तन्द्रा टूटी.
"सर !आपको पता है फ्राइडे हमारे ऑफिस में कैज़ुअल्स
पहन के आते हैं. आप जींस पहन कर आइये ना सर."
इन लड़कियों में जो बहुत बातूनी थी उसने कहा.
वो उसकी बात हवा में उड़ाते हुए रुखाई से बोला "हेडऑफिस से फ़ोन आया था. डाएरेक्टर साहब को रिपोर्ट करना है. अगर आपका काम पूरा हो गया हो तो हम निकलें."कहते कहते वो थोड़ा सख्त हो गया था.
लड़की ने भाँप लिया और बोली "जी सर !बस एक नज़र डाल लूँ."
उसके चेहरे पर पड़ती शिकन देख कर वो हँस पड़ी. "सर काम पर नहीं, शीशे पर नज़र डालनी है.जरा
टचिंग कर के आती हूँ. काम पूरा है सर!"
"अजीब बेशर्म लड़की है.कुछ भी कह लो इस पर जूं नहीं रेंगने वाली. एक आदत ख़ास है इसमें कभी पूछेगी नहीं. हमेशा बताएगी."
कार में बैठते ही लड़की का रिकॉर्ड चालू हो गया.
"यहाँ पर आने से पहले दो साल तक विदेश में थी सर !
फ़िर लौट आयी."
"क्यों पी आर नहीं मिला क्या?"वो बोला
"जी नहीं ये बात नहीं है. पी आर था, नौकरी भी ठीक ठाक थी, मेरे हस्बेंड ने कहा वापस चलते हैं तो मैंने भी अपना मन बदल लिया. यहाँ पर सारे लोग हैं. मेरे मम्मी पापा, मेरे इनलॉज़. हम दोनों के फ्रेंड्स. फ़िर काम वाली बाइयाँ."
"दरअसल मुझे भीड़ अच्छी लगती है, इतनी कि बस टकराते टकराते बचो."
"ये बात भी नहीं थी बात कुछ और ही थी मेरे बेटे को अपने रंग को लेकर हीनभावना आ गई थी. उसने कहा कि टीचर गोरे (अंग्रेज )बच्चों को ज़्यादा प्यार करती है.
बस सर !मैंने अपना मन बदल दिया. वापस आ गए हमदोनों."
"बुरा नहीं लगता. आपको."उसने लड़की से पूछा.
"बुरा क्यों लगेगा?"
"अपना देश है जैसा भी है. टेढ़ा है पर मेरा है."
इतने में लाल बत्ती पर कार रुक गई थी. लड़की ने फ़टाफ़ट अपना बैग खोला और एक पोटली नुमा पर्स निकाला. थोड़ा सा कार का शीशा नीचे किया जो भी बच्चे महिलायें भीख माँग रहे थे. उन्हें पैसे बाँटने लगी.
तभी कार चल पड़ी.
उसने देखा एक छोटा लड़का सड़क से फ़्लाइंग किस उछाल रहा था. जिसे इसने लपक कर कैच कर लिया.
वो बोला"कभी भी इन लोगों को पैसे नहीं देने चाहिए.ये आपका बैग छीन कर भाग सकते हैं. "
"जी सर सही कह रहे हैं पर क्या है ना अब परिस्थतियाँ बदल गई हैं."
"क्या पता कौन किस मजबूरी में भीख माँग रहा हो." "इसलिये मैंने अपने विचारों को थोड़ा बदल लिया है. मेरा छोटा सा कंट्रीब्यूशन हो सकता है किसी की भूख मिटा दे."उसने पैसों की पोटली फ़िर अपने बैग में रख ली.
अब वो ड्राइवर से बोली भैया जी गाना बदलिए. कुछ फड़कता हुआ सा म्यूज़िक लगाइये ना.
तभी उसके बच्चे की कॉल आ गई थी. उसने म्यूज़िक धीरे करवाया पूरा रास्ता बच्चे का होमवर्क कराने में काट दिया .
सर !बहुत शरारती है. मेरा बेटा बिना मेरे साथ बैठे कुछ नहीं करता. इसलिये रोज़ आधा घंटा ऑफिस के साथ थोड़ी बेवफ़ाई करती हूँ. सर ! आखिरकार नौकरी भी तो फैमिली के लिए ही कर रही हूँ.
हाँ हुं हाँ, करते उसनेअपने दिमाग़ और ज़ुबान में मानो संतुलन बनाया.
वो तो पूरी तन्मयता से नौकरी कर रहा है. पत्नी और बच्चे उसकी राह देख कर थक चुके हैं.
उसका बच्चा भी आठ वर्ष का है. पर स्कूल से आने के बाद उसकी दिनचर्या का उसे पता नहीं है. रात्रि के भोजन पर ही उनकी मुलाक़ात होती है.
बिटिया ज़रूर लाड़ दिखा जाती है.
सर ! लड़की ने उसके विचारों को लगाम दी.
"हाँ बोलो."
"आप भी हमारे साथ ही लंच किया करिये.
अच्छा नहीं लगता आप अकेले बैठते हैं."
"मैं ज़्यादा कुछ नहीं खाता. हेवी ब्रेकफास्ट करता हूं. लंच तो बस नाम मात्र का."
"सर ! कल आइये हमारे साथ. देखिये अगर अच्छा ना लगे तो फ़िर नहीं कहूँगी."
*******
अब एक बार सिलसिला चल पड़ा तो ख़त्म ना हुआ.... दूर से जैसी दिखती थीउसके विपरीत अन्दर से बहुत संवेदनशील दुनिया थी इन लड़कियों की.
कोई टूटी टांग वाली पड़ोसी ऑन्टी को पूड़ी छोले पकड़ा कर आ रही है.
तो एक शाम को अपनी सहेली के तलाक के लिए वकीलों के चक्कर काट रही है.
यहाँ से घर जाकर किसी को ननद को मेहंदी लगवाने ले जाना है.
किसी को बच्चे को साईकिल के चार राउंड लगवाने हैं.
किसी के घर मेहमान आए पड़े हैं. जाते ही नहीं.
फ़िर भी ऑफिस में बर्थडे, प्रमोशन, बच्चे का रिज़ल्ट, हस्बेंड का बर्थडे, शादी की सालगिरह हर दिन लंच टाइम पर एक उत्सव है. इन लड़कियों का.
फ्राइडे को इस बात का जश्न कि शनिवार, इतवार छुट्टी है.
क्या कमाल की दुनिया है.
*******
सब के पास ढेरों काम हैं ऑफिस से पहले भी और घर जाकर भी.
ऑफिस के काम में भी पूरी भागीदारी है.
उसके विचार बदलने लग पड़े हैं.
उसकी हिचक भी निकलती जा रही है. अब उसे नहीं लगता कि वो ऑफिस में अकेला मर्द है.
घर में पत्नी भी खुश, वो रोज़ घर जाकर बताता है कि खाना कितना अच्छा बना था .
ये तारीफ़ करना भी इन्हीं देवियों ने सिखाया है.
आज फ्राइडे है उसने अपनी ब्लू जींस पहनी, पत्नी देखकर हैरान हुई आप तो ऑफिस जा रहे हैं ना.
"हाँ तो क्या हुआ? कभी कभी चेंज अच्छा लगता है."
"ये भी सही है."पत्नी ने ऊपरी तौर पर सहमति जताई. जबकि वो जानती थी कि वो कितना जिद्दी है. अपने कपड़ों को लेकर.
वो भी झेंप गया था. पर झटके से घर से निकल लिया.
रास्ते में बॉस का फ़ोन आ गया. वो बोले "तुम्हारा ट्रांसफर कर दूँ वापस आना चाहोगे."
उसको मानो झटका सा लगा. "जैसा आप कहें मुझे तो जो आदेश मिलेगा वही पालन करूँगा."
"नहीं तुम कह रहे थे ऑफिस में खाली लड़कियाँ हैं."
"सर ! लड़कियाँ ही तो हैं. क्या फर्क पड़ता है? मुझे तो अब अच्छा लगता है. रौनक वाली जगह है सर !"
"हा हा हा उसके बॉस की हँसी गूँज उठी. एक्चुअली ये बेस्ट पोस्टिंग है तुम्हारी."
"जी सर ! आप ठीक कहते हैं. यहाँ सीखने को बहुत कुछ है."
वो मुस्कुरा दिया था.
समाप्त
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