Thursday, December 10, 2020

मैंने एक सपना देखा है

 स्वान्तः सुखाय

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मैंने एक सपना देखा है
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हल्की हल्की ठण्ड हुई है
कुंजों में चिड़ियाँ चहकी हैं
बाहर धूप नहीं दिखती है
केतली पर चाय चढ़ी है
जल्दी जल्दी टिफिन बनाती
माँ अपने बच्चों को जगाती........

घर में इक तूफ़ान सा आया
पापा ने सबको धमकाया
ना मेरी नींद ख़राब करो
सब धीमे धीमे बात करो
मुझको भी ऑफिस जाना है
और देर रात घर आना है
मन ही मन में बुदबुदाती........

बच्चों के स्कूल खुले हैं
नन्हे मुन्ने सजे हुए हैं
मुन्ना बस्ता लेकर भागा
हाँफते हाँफते कहता जाता
जल्दी जल्दी मुन्नी!!आओ
ड्राइवर अंकल हौर्न बजाये
अपनी बस कहीं छूट ना जाए
कैसे हड़बड़ यूँ हो जाती..............


मुन्नी मां से लड़ती है
मेरी चोटी ठीक नहीं बनती है
मुझे न्यू वाटर बॉटल दिलवाओ
भैया जैसे शूज़ दिलाओ
माँ मन ही मन मुस्काती है
दोनों नटखट स्कूल को जाएं
कुछ देर सही,आफ़त टल जाए
सोच सोच तसल्ली यह आती ...........


मैंने एक सपना देखा है
आज सुबह सुबह देखा है
काश!!ये सपना सच हो जाए
जीवन पटरी पर फ़िर आये
सुख दुःख में सन्धि हो जाए
खुशियाँ लौट लौट कर आये
रब से मैं मन्नत मनाती...........

प्रीति मिश्रा 10दिसम्बर

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