एक तस्वीर देखी है.....
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पूनम की रात के उजले चाँद सी चमक देखी है
फूलों से आँखों के जुगनू ढँककर बैठी है
मैंने एक तस्वीर देखी है ....
घटाओं सी सुरमई
ज़ुल्फ़ों में तितलियाँ,
होठों की नरमियाँ
बयां करती है शोखियां
दिल के तार छेड़ कर
जो अनजान हो गयी
मैंने अल्हड़ शरीर एक लड़की देखी है.......
बहार कहूं तुझको या कहकशां कहूं
ज़मीं से आसमान तक है तेरी अदा कहूं
मेरा सुकूँ छीनने वाली ऐ ज़ालिम दिलरुबा
बंद आँखों के ख़्वाब सी तू हरदम दिखती रहती है
मैंने एक तस्वीर देखी है.......प्रीति मिश्रा
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