Sunday, December 13, 2020

कविता उफ़ ये सर्दी वाली रात

 थीम सृजन 

++++++++

उफ़ ये सर्दी वाली रात 

++++++++++++++


आई बड़े दिनों के बाद

 ऐसी सर्दी वाली रात 

मिलकर झूमे नाचे आज 

चाहे डिस्को चाहे जाज़ 

ठंड में लग जाएगी आग 

जो इतना रंगीं होगा साथ 

आई बड़े दिनों के बाद.... .... 


मिल के रंग जमाएं 

चलो सेल्फ़ी खिंचवाए 

क्यों झिझके क्यों शर्माएं 

जो दूर खडे हैं सारे आ जाएं 

हम हैं यारों के यार 

देखो छाई क्या बहार 

आई बड़े दिनों के बाद 

ऐसी सुहानी रात........ 


अभी हम घर ना जाएंगे 

यहीं पर जश्न मनाएंगे 

थोड़ा सा दीवानापन 

उस पर छाया पागलपन 

जो जी चाहे कर ले आज 

अजी किसका करें लिहाज 

आई बड़े दिनों के बाद 

उफ़ ! ऐसी मतवाली रात

 प्रीति मिश्रा

No comments:

Post a Comment