Sunday, December 13, 2020

होली


होली है जी!! होली है !!

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भाँग घुटी जब ठंडाई में 

 

बच ना पायी हरजाई से 


रंग लगाकर तन पे कच्चा 


मन को रंग गया ऐसा पक्का 


साजन जी के हाथ पिचकारी 


सजनी देवे हँस हँस गारी 


पीली नीली थाप ना मारो 


मुझको कोई आज बचा लो 

 


नयन लजावै, होंठ मुस्कावे 


अँखियन के जुगनू चमकावे 


मुड़ मुड़ भागे और तरसावे 


ना ना करती मन को उकसावे 


चंचल चपल पल में छुप जावे 


चंद्र कला सी दिन में दरसावे 


कोरी चुनरिया ओढ़ के गोरी 


गावे ढोल की थाप पे होरी 


ना करियो जी जोरा जोरी 


नाज़ुक कलइया है जी मोरी 


बीत गए दिन याद है आयी 


पहली होली भूल ना पाई 


मैंने अपनी बात निभा दी 


एक होली पर उम्र बिता दी


  प्रीति मिश्रा

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