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वक्त है मनन करें
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अनुभूतियों, संवेदनाओं
को नया प्रवाह दें
प्रस्फुटित होंगे तभी
विचारों के नव अंकुरण
है जहां पर स्वस्थ मन
रहता वहीं है स्वस्थ तन
वक्त है मनन करें
उठ कर कोई सृजन करें !!
स्वयं को हम संवार लें
निखरें और उत्कृष्ट बने
सुलझे हुए विचार हों
ह्रदय में सभी से प्यार हो
हानि-लाभ से परे
सुख दुख से ना डरे
जय पराजय में हो सम
ऐसा बना लें अपना मन
वक्त है मनन करें
उठ कर कोई सृजन करें !!!
हताशा, निराशा, विषमता
किसलिए क्यों कर रहे
परिवर्तन चक्र है जीवन का
पृष्ठ हैं बदल रहे
नित पाठ सब हैं पढ़ रहे
जो घटित है हो रहा
उसको तो होना ही था
क्या लाया था जो खो गया
फ़िर किस लिए उदास है
वक्त है मनन करें!!
उठ कर कोई सृजन करें!!
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