Sunday, December 13, 2020

बहुत उदास हूँ मैं

 


बहुत उदास हूँ मैं 

************

न जाने क्यों 

लगता है आजकल 

इधर से दृष्टि फेर ली है तुमने

और एक मैं हूं 

गहन उदासी और अवसाद की जद में

बेतहाशा

खिंचती चली जा रही हूं

जी चाहता है 

सारे बंधन तोड़ कर कहीं दूर भाग जाऊं

कोशिश भी की है कई बार

किन्तु आसान नहीं ना....

बहलाती हूं  

अपने मन को 

कहानियों कविताओं और रंगों में 

किंतु नाकामयाबी हाथ लगी हर बार...... 

कब से खबरें पढ़ना छोड़ दिया मैंने

लेकिन जैसे सारी उदास खबरें

तैर तैर कर 

मेरे आसपास इकट्ठी हो जाती हैं 

और मैं उस उदासी के भंवर में 

गोते लगाने लगती हूँ

कि तुम आओ और खींच लो मुझे बाहर


क्यों महसूस नहीं कर पा रही

यह पल पल बदलता 

खुशनुमा मौसम

 जी चाहता है 

चीख कर चीख कर बताऊं इस दुनिया को

 हां उदास ,बहुत उदास हूं मैं !!

आजकल ऐसे ऐसे लोग 

मुझे याद आने लगे हैं 

जिन्होंने कभी मुझे याद नहीं किया 

और ना याद करने का हक ही दिया..... 


मैं याचक तो नहीं थी

फिर भी आज 

याचना करती हूं

आ जाओ !!!

निकाल लो इस उदासी से बाहर मुझको ..

कर रही हूँ पल पल व्यतीत

इसी प्रतीक्षा में 

के तुम पुकार सुनोगे 

इससे पहले कि हार जाऊं मैं .....!!!

No comments:

Post a Comment