Sunday, December 13, 2020

चुप रहना बेहतर होगा

 शब्द सृजन  अच्छा 

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चुप रहना बेहतर होगा 

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अच्छा गर मैं कहूँ वही 

जो तुमको बस भाता है 

फिर होगा क्या 

सोचा है !!

यह मान मुनव्वल रुठा, रूठी 

रह जाएगी कहीं धरी 

जीवन बिल्कुल नीरस होगा....


अच्छा मैं चल पड़ी अगर 

उस राह पे

जिसपे चलते तुम  

हैरान हो थम जाओगे क्या!

जब साथ खड़ा मुझको पाओगे

जीवन पथ कुछ बेहतर होगा? 

या दर्द कहीं कुछ कम होगा ....!!!


अच्छा जो बतलाऊँ  तुमको 

अपने दिल की सच्ची सच्ची

कैसे गुज़री क्या-क्या गुज़री

किस को दोषी ठहराओगे 

जीते हुए हार ना जाओगे 

जीता समझो खुद को तुम 

मैं हार के खुद को जीत चुकी

तुमको इस भ्रम में रहने दूँ

सो चुप रहना बेहतर होगा....

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