Sunday, December 13, 2020

है सितारों से आगे एक जहाँ


 "है सितारों से आगे "

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तुम मुझसे मिले थे 

सौ फूल खिले थे 

यू मंद मंद मुस्काई पवन

महसूस हुई वर्षा की छुअन 

बदला बदला सा था सारा समां 

इतना सुन्दर पहले ना था जहाँ...


मुझे होने लगा था तब ये यक़ीं

ख़ुश मुझसे ज़्यादा कोई नहीं 

तुमने कहा था संग संग चलेंगे 

चाहे दिन ढले चाहे बरस ढलेंगे...


मैंने मान लिया था..हाँ जान लिया था 

जो तुमने बताया जो तुमने सुनाया 

बन्द आँखों से देखा एक ऐसा जहाँ 

जहाँ मैं थी जहाँ तुम थे ल..कोई और नहीं...


उस रोज़ भी सपने में घूम रही थी 

दुनिया की मुझको फ़िक़्र नहीं थी 

याद है मुझे मिलना इंद्रधनुष से 

जिसने रुपहला संसार सजाया था 

मैंने पूछा उसे था तू रहता कहाँ है 

शरमा के बोला था है सितारों के आगे एक जहाँ...


पर टूट गया जो स्वप्न रचा था 

साथी भी अचानक छूट गया था 

तुम ऐसे गए फ़िर आये नहीं 

मैंने ढूंढा बहुत मिल पाए नहीं 

तुम झूठे नहीं थे मजबूर हुए थे 

वरना क्यों सूखे जो फूल खिले थे...


है ये हक़ीक़त मान लिया है 

मिलना बिछड़ना भी जान लिया है 

कोई बात नहीं तुम रहना वहीं 

एक रोज़ मैं भी आऊँगी वहीं 

फ़िर फूल खिलेंगे मुस्काएगी पवन 

हर ओर महकेगा तन मन और चन्दन...


सच कहता था इंद्रधनुष उस दिन 

है सितारों के आगे भी एक जहाँ 

मैंने पूछा था तुम से तू रहता है कहाँ 

बोला था तू है सितारों के आगे एक जहाँ

ढूँढती हूँ तुम बिन मैं यहाँ और वहाँ 

कहाँ है वह सितारों से आगे का जहाँ...

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