गद्य रचना
-----रिश्ता अनजाना ----
(पांचवी किश्त)
-----रिश्ता अनजाना ----
(पांचवी किश्त)
आपने पढ़ा अनु और सन्दीप की दोस्ती सोशल वर्क की तरफ़ झुक गई साथ ही वे कहीं न कहीं भावनात्मक रूप से भी जुड़ते जा रहे हैं,दोनों एक दूसरे के बारे में जानने को उत्सुक हैं आगे क्या होता है आइये देखें ........
***गाँव के लोग और अनु की मनःस्थिति***
फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स से क़रीब 15 किलोमीटर चलने के बाद ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी और अनु और उसकी सहेलियों की तरफ मुखातिब होकर बोला, "मैडम, इसके आगे गाड़ी नहीं जाती आपको पैदल ही पुल पार करना होगा ।"
पुल क्या था बिल्कुल टूटा फूटा सा ढाँचा....मुश्किल से 4 फीट की चौड़ाई वाला करीब 1 किलोमीटर का रास्ता था जिसके दोनों और किसी भी प्रकार की रेलिंग भी नहीं लगी हुई थी।
लापरवाही की भी कोई हद होती होगी ना, उसी पुलनुमा चीज़ पर गांव वाले साइकिल से भी आ जा रहे थे। इतने पतले पुल पर चलने के ख़तरे को भाँप कर तो सभी लेडीज़ ठिठक सी गई थी।
पुल क्या था बिल्कुल टूटा फूटा सा ढाँचा....मुश्किल से 4 फीट की चौड़ाई वाला करीब 1 किलोमीटर का रास्ता था जिसके दोनों और किसी भी प्रकार की रेलिंग भी नहीं लगी हुई थी।
लापरवाही की भी कोई हद होती होगी ना, उसी पुलनुमा चीज़ पर गांव वाले साइकिल से भी आ जा रहे थे। इतने पतले पुल पर चलने के ख़तरे को भाँप कर तो सभी लेडीज़ ठिठक सी गई थी।
"उस पार जाया भी जाएं या नहीं,अनु ! सोच लो आपके कहने से हम लोग आ तो गए हैं, कहीं ऐसा ना हो कि हम पांचों में से कोई टपक जाए इस पानी में।" दो तीन ने खिलखिलाते हुए नारा लगाया.
"भैया!! यह पानी कितना गहरा है ?" मिसेज़ तोमर गार्ड से पूछ रही थी.
वो बोला "ज्यादा गहरा नहीं है मैडम, आप लोग धीरे धीरे चलिएगा । बस चलते वक्त इतना ख़याल रखिएगा कि आपकी नजर बस सड़क पर ही हो । पानी को मत देखियेगा, सर चकराने लगेगा।"
"अच्छा तो ये ट्रिक है," मिसेज़ सिंह फुसफुसाई, बाकी महिलाएँ भी ठठा कर हंस पड़ीं।
अनु सबसे आगे थी । उसने पीछे मुड़कर कहा, "आ जाइए ना, अगर कोई डूबने लगेगा तो मैं पक्का बचा लूँगी ।"
"भैया!! यह पानी कितना गहरा है ?" मिसेज़ तोमर गार्ड से पूछ रही थी.
वो बोला "ज्यादा गहरा नहीं है मैडम, आप लोग धीरे धीरे चलिएगा । बस चलते वक्त इतना ख़याल रखिएगा कि आपकी नजर बस सड़क पर ही हो । पानी को मत देखियेगा, सर चकराने लगेगा।"
"अच्छा तो ये ट्रिक है," मिसेज़ सिंह फुसफुसाई, बाकी महिलाएँ भी ठठा कर हंस पड़ीं।
अनु सबसे आगे थी । उसने पीछे मुड़कर कहा, "आ जाइए ना, अगर कोई डूबने लगेगा तो मैं पक्का बचा लूँगी ।"
पुल को पार करने के बाद एक अजीब सा दृश्य दिखा। घर क्या थे ? बस झोंपड़े थे, न सड़क न कोई और सुविधा । गांव में पानी के नल नहीं थे, पता चला हर घर के आगे एक छोटा सा तालाब था । उसी तालाब में वे लोग नहाते,कपड़े धोते, उसी पानी को पिया करते और उसी से खाना भी पकाते थे । यह सब देख कर अनु और सभी स्त्रियों का मन बहुत खराब हुआ।
वह अपने साथ बच्चों को बांटने के लिए चॉकलेट्स और टोफ़्फ़ीज लाई थी ।
ड्राइवर से पूछा, "क्या आप गांव के बच्चों को एक जगह इकट्ठा कर सकते हैं ।"
"हां क्यों नहीं मैडम?" तपाक से जवाब मिला था. ड्राइवर कह रहा था, "अभी तो सीधे स्कूल चलते हैं । वहीं सारे बच्चे मिल जाएंगे । पाँचवी तक का स्कूल है मैडम ।"
स्कूल में जाकर बहुत खुशी मिली थी । सारे बच्चे मिलकर कोई अंग्रेजी राइम गा रहे थे,महिलाओं को देख कर सब ने 'गुड मॉर्निंग मैम' भी कहा था समवेत स्वर में ।
स्कूल के हैडमास्टर साहब बड़े ही मेहनती और जुझारू व्यक्ति, उत्साह के साथ बता रहे थे, "मैडम, गांव के इस स्कूल को 'इंग्लिश मीडियम' कर लिया गया है । फ़िलहाल कक्षा पांच तक है, और इस से आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं ।"
ड्राइवर से पूछा, "क्या आप गांव के बच्चों को एक जगह इकट्ठा कर सकते हैं ।"
"हां क्यों नहीं मैडम?" तपाक से जवाब मिला था. ड्राइवर कह रहा था, "अभी तो सीधे स्कूल चलते हैं । वहीं सारे बच्चे मिल जाएंगे । पाँचवी तक का स्कूल है मैडम ।"
स्कूल में जाकर बहुत खुशी मिली थी । सारे बच्चे मिलकर कोई अंग्रेजी राइम गा रहे थे,महिलाओं को देख कर सब ने 'गुड मॉर्निंग मैम' भी कहा था समवेत स्वर में ।
स्कूल के हैडमास्टर साहब बड़े ही मेहनती और जुझारू व्यक्ति, उत्साह के साथ बता रहे थे, "मैडम, गांव के इस स्कूल को 'इंग्लिश मीडियम' कर लिया गया है । फ़िलहाल कक्षा पांच तक है, और इस से आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं ।"
एक और अध्यापक बता रहे थे, "इसी गाँव से एक लड़की ने कुछ साल पहले आई ए एस की परीक्षा में पोजिशन हासिल की थी ।उसके प्रेरणा स्त्रोत भी हमारे हेड मास्टर साहब ही रहे हैं । कुछ भला सा नाम है लड़की का सुष्मिता दास,सभी अखबारों में उसका फ़ोटो आया था मैडम,दूरदर्शन पर भी ।
पहले टीचर थी, विवाह भी हुआ था । पति छोड़ कर विदेश भाग गया था और नहीं लौट कर आया ।"
उत्तेजित होकर आगे की कहानी सुनाने ड्राइवर स्वयमसेवक बन बैठा था, उड़िया में कथा सुनाने लगा था । अनु ने टोका, "हिंदी में बोलिये ना प्लीज़ ।"
ड्राइवर अपना सिर हिलाता, झूम झूम कर सुष्मिता का गुणगान करने लगा, "आपके साहब लोग तो जानते हैं सुष्मिता को । पहले गेस्ट हाउस में रुका करती थी, आजकल नहीं आती न जाने क्यों?शायद कहीं बाहर पोस्टिंग हो गई है ।जब भी आएगी आप ज़रूर मिलिएगा" अब थोड़ा सा जॉली बन गया था बंदा, "बिल्कुल सिंपल है वे, आप लोगों जैसी नहीं ।"
पहले टीचर थी, विवाह भी हुआ था । पति छोड़ कर विदेश भाग गया था और नहीं लौट कर आया ।"
उत्तेजित होकर आगे की कहानी सुनाने ड्राइवर स्वयमसेवक बन बैठा था, उड़िया में कथा सुनाने लगा था । अनु ने टोका, "हिंदी में बोलिये ना प्लीज़ ।"
ड्राइवर अपना सिर हिलाता, झूम झूम कर सुष्मिता का गुणगान करने लगा, "आपके साहब लोग तो जानते हैं सुष्मिता को । पहले गेस्ट हाउस में रुका करती थी, आजकल नहीं आती न जाने क्यों?शायद कहीं बाहर पोस्टिंग हो गई है ।जब भी आएगी आप ज़रूर मिलिएगा" अब थोड़ा सा जॉली बन गया था बंदा, "बिल्कुल सिंपल है वे, आप लोगों जैसी नहीं ।"
"हमलोग क्या हैं ?" ज़रा विस्तार से बताएंगे,मिसेज़ तोमर ने ड्राइवर की टांग खिंचाई शुरू कर दी । वो खींसे निपोर कर हंस रहा था । बहुत ही अपनापन था माहौल में ।
तब तक गांव के लोगों में इन पांचो महिलाओं को देखने के लिए उत्सुकता जाग गई थी । स्कूल के चारों ओर काफी भीड़ जमा हो गई थी।
उन लोगों ने बताया कि वे बस ऐसे ही गांव घूमने आई हैं ।गांव वाले तहे दिल से उनके स्वागत में दौड़ पड़े। कुछ लोग पेड़ से नारियल तोड़ लाए और नारियल पानी पीने का आग्रह करने लगे।
उन लोगों ने बताया कि वे बस ऐसे ही गांव घूमने आई हैं ।गांव वाले तहे दिल से उनके स्वागत में दौड़ पड़े। कुछ लोग पेड़ से नारियल तोड़ लाए और नारियल पानी पीने का आग्रह करने लगे।
बेशक वे उड़िया में बोल रहे थे लेकिन उस ग़रीबी में भी उनका सत्कार और आथित्य देख कर सब विभोर हो रही थी ।
स्त्रियों ने शरीर पर वस्त्र के नाम पर सिर्फ एक साड़ी लपेटी हुई थी।
करीब एक से डेढ़ घंटा रुकने के बाद अनु ने अपना कार्य पूरा किया और वह सभी गेस्ट हाउस लौट आये । इसी बीच अनिल के कई फोन आए थे । बाद में महापात्रा जी स्वयं उन्हें देखने आए कि वे ठीक से गेस्ट हाउस पहुंच गयी हैं.
करीब एक से डेढ़ घंटा रुकने के बाद अनु ने अपना कार्य पूरा किया और वह सभी गेस्ट हाउस लौट आये । इसी बीच अनिल के कई फोन आए थे । बाद में महापात्रा जी स्वयं उन्हें देखने आए कि वे ठीक से गेस्ट हाउस पहुंच गयी हैं.
घर आकर सबसे पहले उसने संदीप को टेक्स्ट किया । जो भी जानकारी मांगी थी वो तो दी ही साथ में गांव के फोटोज़ भी शेयर किये थे ।
उस दिन सन्दीप बहुत बिजी रहा होगा तभी देर रात अनु के मैसेज देख पाया ।
आज उसके द्वारा भेजी गई फोटोज़ को बड़ा कर कर के देख रहा था वो । कितने वर्ष बीत गए ऐसे दृश्य देखे हुए । और अनु ,वो तो गांव वालों के बीच राज महिषी सी शोभित हो रही है ।
आज अचानक उसे ख़याल आया ये टंडन लोग क्या होते हैं शायद खत्री तभी इतना साफ़ रंग है । यहां आजाये तो कोई पहचान तक नहीं पाएगा कि लड़की योरोपियन है या हिंदुस्तानी । आज अनु से डिटेल में उसके बारे में जानने का मन हुआ था संदीप का ।
संदीप ने अपनी जिज्ञासा प्रकट भी कर दी थी । उसने अनु को लिखकर पूछ ही डाला, उसकी स्कूलिंग,कॉलेज और उसकी हॉबीज के बारे में।
अनु ने लिखा था, " हे भगवान ! आख़िर मेरी मेहनत का कुछ भी फ़ायदा नहीं हुआ संदीप ! आपने मेरा काम नहीं देखा, लगता है मेरी फोटो पर ही अटक गए। हा हा हा चलो अपने बारे में बता देती हूं, मेरी पढ़ाई लखनऊ के मशहूर आई टी कॉलेज से हुई और मेरी हॉबी फ्रेंड्स बनाना है एक्चुअली यह मेरे जींस में है । आपको बताती हूं मेरी नानी विंसेंट चर्चिल की पेन फ्रेंड थी आज भी नानी ने उनके लेटर्स सम्भाल कर रखे हैं ।बस अब चिट्ठी बाजी का जमाना नहीं है, इसलिए मैंने आपसे इंटर्नेट पर दोस्ती क़ायम कर ली है.....और हां मेरी मां दिल्ली यूनिवर्सिटी की पढ़ी हुई हैं।मेरे डैड बहुत ही सिंपल इंसान है, लेकिन मॉम को पसंद आ गए।
इसलिए वह मुझे,मम्मा और मेरी हिटलर नानी को झेलने को मजबूर हैं हा... हा... हा।" कितनी बातूनी हो चली थी अनु अचानक ।
फिर लिखा था, " किसी से कहना नहीं पर आपको बताए देती हूं, मेरे नाना पंडित नेहरू के फैमिली फिजिशियन थे और कुछ जानना है ? बता दीजिए ।
"और हाँ मैं अपने आप में कुछ खास नहीं हूं, इसलिए फैमिली की बात कर रही हूं । अनिल को तो आप जानते ही हो । अगर नहीं जानते तो Linked-in से देख लीजिएगा । वैसे आजकल किसी भी उड़िया पेपर को उठा कर देख लो मंत्री जी के साथ रोज़ साहब बहादुर की फोटो निकलती है।"........शेष फिर प्रीति मिश्रा
उस दिन सन्दीप बहुत बिजी रहा होगा तभी देर रात अनु के मैसेज देख पाया ।
आज उसके द्वारा भेजी गई फोटोज़ को बड़ा कर कर के देख रहा था वो । कितने वर्ष बीत गए ऐसे दृश्य देखे हुए । और अनु ,वो तो गांव वालों के बीच राज महिषी सी शोभित हो रही है ।
आज अचानक उसे ख़याल आया ये टंडन लोग क्या होते हैं शायद खत्री तभी इतना साफ़ रंग है । यहां आजाये तो कोई पहचान तक नहीं पाएगा कि लड़की योरोपियन है या हिंदुस्तानी । आज अनु से डिटेल में उसके बारे में जानने का मन हुआ था संदीप का ।
संदीप ने अपनी जिज्ञासा प्रकट भी कर दी थी । उसने अनु को लिखकर पूछ ही डाला, उसकी स्कूलिंग,कॉलेज और उसकी हॉबीज के बारे में।
अनु ने लिखा था, " हे भगवान ! आख़िर मेरी मेहनत का कुछ भी फ़ायदा नहीं हुआ संदीप ! आपने मेरा काम नहीं देखा, लगता है मेरी फोटो पर ही अटक गए। हा हा हा चलो अपने बारे में बता देती हूं, मेरी पढ़ाई लखनऊ के मशहूर आई टी कॉलेज से हुई और मेरी हॉबी फ्रेंड्स बनाना है एक्चुअली यह मेरे जींस में है । आपको बताती हूं मेरी नानी विंसेंट चर्चिल की पेन फ्रेंड थी आज भी नानी ने उनके लेटर्स सम्भाल कर रखे हैं ।बस अब चिट्ठी बाजी का जमाना नहीं है, इसलिए मैंने आपसे इंटर्नेट पर दोस्ती क़ायम कर ली है.....और हां मेरी मां दिल्ली यूनिवर्सिटी की पढ़ी हुई हैं।मेरे डैड बहुत ही सिंपल इंसान है, लेकिन मॉम को पसंद आ गए।
इसलिए वह मुझे,मम्मा और मेरी हिटलर नानी को झेलने को मजबूर हैं हा... हा... हा।" कितनी बातूनी हो चली थी अनु अचानक ।
फिर लिखा था, " किसी से कहना नहीं पर आपको बताए देती हूं, मेरे नाना पंडित नेहरू के फैमिली फिजिशियन थे और कुछ जानना है ? बता दीजिए ।
"और हाँ मैं अपने आप में कुछ खास नहीं हूं, इसलिए फैमिली की बात कर रही हूं । अनिल को तो आप जानते ही हो । अगर नहीं जानते तो Linked-in से देख लीजिएगा । वैसे आजकल किसी भी उड़िया पेपर को उठा कर देख लो मंत्री जी के साथ रोज़ साहब बहादुर की फोटो निकलती है।"........शेष फिर प्रीति मिश्रा
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