गद्य रचना
****रिश्ता अनजाना**** (चौथी किश्त)
****रिश्ता अनजाना**** (चौथी किश्त)
आपने पढ़ा संदीप और अनु की दोस्ती ई मेल पर एक hi से शुरू हुई ,अनु को भावनात्मक संबल की जो आवश्यकता थी इस दोस्ती से पूरी हो गई ,संदीप को अनु से क्या फायदा हुआ आइये देखते हैं.......
निहाल सी हो गयी थी अनु
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पापा से बात होने के बाद अनु को महसूस हुआ वाइब्ज़ की ट्यूनिंग का क्या असर होता है। पापा ने सब कुछ बहुत ध्यान से सुना और समझा । संदीप के बारे में भी जानकारी ली । बहुत ख़ुश थे पापा,अनु की आवाज़ में एक अरसे के बाद चहक को महसूस करके । पापा एक सेल्फ़ मेड व्यक्ति.....ज़िंदगी को बहुत नज़दीक से देखा हुआ है पापा ने....बहुत गहरायी तक भी। उनसे भी कुछ इन्पुट्स और टिप्स मिले थे अनु को और सब से बड़ा था उनका कहना कि 'अनु बिटिया आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ है।
' आकर्षण शक्ति का सिद्धांत भी बहुत रोचक है, जीवन में जब कुछ सकारात्मक घटित होना आरम्भ होता है चारों ओर से मानो सकारात्मकता बरसने लगती है। निहाल सी हो गयी थी अनु।बहुत ख़ुश थी वह उस दिन।
' आकर्षण शक्ति का सिद्धांत भी बहुत रोचक है, जीवन में जब कुछ सकारात्मक घटित होना आरम्भ होता है चारों ओर से मानो सकारात्मकता बरसने लगती है। निहाल सी हो गयी थी अनु।बहुत ख़ुश थी वह उस दिन।
अनु के होठों पर कई गानों के मुखड़े और अंतरे ख़ुद ब ख़ुद आने लगे थे।शॉवर में भी और दिनों से ज़्यादा समय लगा था उसको।
आज उसे अनायास ही ख़याल आ गया था 'विक्टोरियाज़ सीक्रेट-लव स्पेल' शॉवर जेल का जो उसकी सहेली रीना उसके लिए कुछ महीनों पहले अमेरिका से लाई थी।
आज उसे अनायास ही ख़याल आ गया था 'विक्टोरियाज़ सीक्रेट-लव स्पेल' शॉवर जेल का जो उसकी सहेली रीना उसके लिए कुछ महीनों पहले अमेरिका से लाई थी।
उसने हल्के फ़िरोज़ी रंग की फ़्रेंच शिफ़ोन की साड़ी पहनी और गले में इंद्रधनुषी झलक देते मोटे मोतियों की माला पहन ली थी।
मरून सिल्क का ब्लाउज़ साड़ी के साथ फब रहा था। बालों को हल्का सा ढीला छोड़ कर पोनी बना ली थी। मिरर में जब ख़ुद को देखा तो उसे ख़ुद को भी विश्वास नहीं हो रहा था कि जो अक्स है वह उसी का है।आज उसे ख़ुद पर बेइंतहा प्यार आने लगा था।
मरून सिल्क का ब्लाउज़ साड़ी के साथ फब रहा था। बालों को हल्का सा ढीला छोड़ कर पोनी बना ली थी। मिरर में जब ख़ुद को देखा तो उसे ख़ुद को भी विश्वास नहीं हो रहा था कि जो अक्स है वह उसी का है।आज उसे ख़ुद पर बेइंतहा प्यार आने लगा था।
शाम को अनिल थके मान्दे घर पहुँचे। एक नयी उमंग और उत्साह से अनु ने उसका स्वागत किया। अनिल जल्दी से शॉवर लेकर आ गए। दार्जीलिंग चाय और कुकीज़ के साथ दोनों कई दिनों बाद इस तरह से शाम का लुत्फ़ उठा रहे थे।
"मेरा टेक्स्ट देखा क्या आप ने ?" पूछा था अनु ने।
"अरे मेसेज अलर्ट टोन तो सुनी थी लेकिन देख पाया घर आते समय ..जस्ट ग्लैन्स किया, नहीं समझ पाया और सोचा अब मिल ही रहा हूँ ना तुम से, क्यों ना तुम से ही सुनूँ और समझूँ ।" कह रहे थे अनिल।
असल में कोपोरेट जगत के टॉप पोज़ीशन वाले लोगों की प्राथमिकताएँ उनके काम से सम्बंधित ही हो जाती है, वो चाहे या ना चाहें।फिर अनिल बिलकुल वरकोहोलिक इंसान, ज़िंदगी को गोल्ज़ और टार्गट्स के अनुसार जीने वाले।कई बार अनु सोचती कि ये नौकरी जीवन जीने का एक साधन है या नौकरी ही जीवन है अनिल के लिए।
अनु ने अनिल को बड़े ही सधे हुए शब्दों में संदीप के बारे में बताया. अनु का दिल तो कर रहा था, अपने इस नए चमत्कारी दोस्त को डिस्क्राइब करने में बोलती ही जाए : उसका सेंस ऑफ़ ह्यूमर, अपनत्व भरे स्पंदन, आकाश के नीचे हरेक वस्तु और विषय पर साधिकर बोलने के क्षमता, शालीनता, ऊँची पसंद, खुले विचार, शानदार ड्रेसिंग सेंस, सुदर्शन व्यक्तिव और ना जाने क्या क्या...लेकिन उसका सिक्स्थ सेंस उसे चेता रहा था कि कहीं अनिल इस को ग़लत ना ले ले। संस्कार थे या असमंजस चाह कर भी अपने मन में उमड़ी कोमल मैत्री भावनाओं को वह अपने पति से साँझा नहीं कर सकी थी।
हाँ संदीप की एनजीओ सम्बंधित गतिविधियों के बारे में उसने विस्तार से बताया था और यह भी कि उसने अनु को एक कम्यूनिटी वेलफ़ेयर प्रोजेक्ट को शुरू करने और देखने का ऑफ़र दिया है।
"अनिल ! आप तो सुबह से शाम तक अपने ऑफ़िशियल कामों में व्यस्त हो जाते हो।मेरे लिए दिन पहाड़ सा हो जाता है। कुछ नहीं कर पाने से एक ठहराव सा महसूस करने लगी हूँ।नीरसता सी आने लगी है डेली लाइफ़ में। यदि ऐसे किसी अच्छे काम में मन लगा पाऊँ तो मेरे लिए बहुत ही सुकूनदायी होगा".-अनु कह रही थी।
अनिल के पूछने पर उसने प्रोजेक्ट की रूपरेखा उसे बतायी, करीब 50 लोगों का टीम वर्क है ,एक प्रोजेक्ट मैनेजर ,एक एकाउंटेंट, चार विजिटिंग डॉक्टर्स ,दो नर्सेज परमानेंट,20 कार्यकर्ता (जो कि पेड होंगे,हज़ार रुपए ,12 घंटे पर वीक कार्य )....चार स्कूटी और एक कार भी मिलेगी।इधर उधर जाने के लिए।इसके साथ गांव में बाँटी जाने वाली पठनीय सामग्री दिखाने लगी अनु । अच्छा ख़ासा होम वर्क कर लिया था अनु ने ।
अनिल के पूछने पर उसने प्रोजेक्ट की रूपरेखा उसे बतायी, करीब 50 लोगों का टीम वर्क है ,एक प्रोजेक्ट मैनेजर ,एक एकाउंटेंट, चार विजिटिंग डॉक्टर्स ,दो नर्सेज परमानेंट,20 कार्यकर्ता (जो कि पेड होंगे,हज़ार रुपए ,12 घंटे पर वीक कार्य )....चार स्कूटी और एक कार भी मिलेगी।इधर उधर जाने के लिए।इसके साथ गांव में बाँटी जाने वाली पठनीय सामग्री दिखाने लगी अनु । अच्छा ख़ासा होम वर्क कर लिया था अनु ने ।
अनिल सुन रहे थे लेकिन उनके अवचेतन मस्तिष्क में घुमड़ रहे उनके काम से सम्बंधित विचार बीच बीच में आकर उसे कहीं और ले जा रहे थे।अगर टारगेट टाइम से टास्क पूरा नहीं हुआ तो अबकी कॉल पी एम ओ से आएगी, अमुक को क्या कहे, अमुक को कैसे चेज़ करे....अमुक एक्टिविटी का विकल्प क्या हो सकता है इत्यादि ।
पूछ रही थी अनु, "क्या मैं अपनी फ्रेंड्स के साथ मिलकर यह एन जी ओ के काम को हाथ में ले लूँ ?"
साथ ही यह भी कह दिया था,"दो साल की तो बात है और जहां तक मुझे उम्मीद है आपको भी फैक्ट्री को पूरी तरह स्ट्रीम में ले आने में लगभग इतना ही समय लगने वाला है ।इससे पहले हम लोग यहां से कहीं नहीं जाने वाले।"
साथ ही यह भी कह दिया था,"दो साल की तो बात है और जहां तक मुझे उम्मीद है आपको भी फैक्ट्री को पूरी तरह स्ट्रीम में ले आने में लगभग इतना ही समय लगने वाला है ।इससे पहले हम लोग यहां से कहीं नहीं जाने वाले।"
अनिल ने कहा " दो साल से ज्यादा समय भी लग सकता है, लेकिन एक बात का डर है, तुम्हारा यहां के किसी भी गांव वाले से इंटरेक्शन नहीं हुआ है. ये लोग ज़रा टेढ़े होते हैं, जितना तुम समझ रही हो उतना आसान नहीं। एक एक स्टॉफ मेम्बर को सलेक्ट करने में ही उनकी पॉलिटिक्स से पस्त हो जाओगी, बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा तुमको, अनु।"
फिर एक चेतावनी सी भी, "एक भी ऑपेरशन गलत हो गया अनु, तो लेने के देने पड़ सकते हैं ।"
फिर एक चेतावनी सी भी, "एक भी ऑपेरशन गलत हो गया अनु, तो लेने के देने पड़ सकते हैं ।"
अनिल उसे अपने तौर पर ज़मीनी हक़ीक़त से वाकिफ़ कर रहे थे , "खून पसीना एक करना होगा। आए दिन फैक्ट्री में सबसे ज्यादा बवाल ये गांव वाले ही करते हैं,और तुम्हें तो उनके साथ उनके लिए ही काम करना है।"
अनु ने कहा, "आप भी तो खतरों में ही काम करते हो,अनिल ,मैंने देखी है वो कन्वेयर बेल्ट,उसने खिड़की से बाहर इशारा करते हुए कहा, कितनी लम्बी और खतरनाक है ? बीस किलोमीटर तक जाती है ,आजकल इसी की रिपेयर और रेस्टोरेशन हो रहा है ना,आपकी देख रेख में ,पर क्या मैं डरती हूँ ? नहीं ना ,बस सुबह एक बार प्रार्थना कर ईश्वर पर छोड़ देती हूं सब कुछ।मुझे भी कुछ नहीं होगा व्यर्थ में डरो मत यार प्लीज़। "
फिर ज़रा और गम्भीर हो कर उसकी आँखों में आँखें डाल कर कहने लगी, "मैं ना, यहां बैठी बैठी पागल हो जाऊंगी और फिर मैं अकेली तो नहीं हूं।मेरे साथ मिसेज़ तोमर,मेरी मदद करने को राजी हैं।बस आप ग्रीन सिग्नल दे दीजिए , सब कुछ बदस्तूर होने लगेगा।"
फिर ज़रा और गम्भीर हो कर उसकी आँखों में आँखें डाल कर कहने लगी, "मैं ना, यहां बैठी बैठी पागल हो जाऊंगी और फिर मैं अकेली तो नहीं हूं।मेरे साथ मिसेज़ तोमर,मेरी मदद करने को राजी हैं।बस आप ग्रीन सिग्नल दे दीजिए , सब कुछ बदस्तूर होने लगेगा।"
अनु और ब्रीफ़ करने लगी थी अनिल को, "मैंने बहुत डिटेल में समझा है संदीप से। पहले मैं एक बार पूरा इलाका घूम कर आऊंगी।मुझे अगर नहीं समझ में आया तो अपने आप ही आइडिया ड्रॉप कर दूंगी, प्लीज़ आप हामी भरो ना।"
उसका उत्साह और ऊर्जा देख अनिल हैरान रह गए, मन ही मन सन्दीप को धन्यवाद दिया कि अनु यदि व्यस्त हो गयी तो वह और चैन से अपने प्रोजेक्ट की ओर कॉन्सेंट्रेट कर सकेगा। हाँ, अनु से ज़रा ऊपरी होकर कहा "ठीक है जो जी चाहे करो, तुम अब मानोगी नही ।"
अनु कहने लगी, "ऐसे नहीं अगर मन से हामी नहीं भरोगे तो मैं नहीं कर पाऊँगी । बाद में कुछ गड़बड़ हुई तो बोलोगे मैंने तो पहले ही कह दिया था।वैसे मैंने पापा से भी बात की है उन्हें तो मेरा आइडिया बहुत पसंद आ रहा है।"
" ओके बाबा, तुमसे बहस करना बेकार है. ठीक है पर एन जीओ बनाने के लिए तुमको रजिस्ट्रेशन कराने भुवनेश्वर जाना पड़ेगा । यहां के किसी लोकल व्यक्ति के नाम ही रजिस्ट्रेशन हो सकता है एड्रेस प्रूफ चाहिए होगा ।" अनिल बोले....मानो अब निकल जाना चाह रहे हैं उस सीन से।
"वह सब मैं देख लूंगी." बहुत ख़ुश थी, निहाल सी हो गयी थी अनु।
बातचीत अनु और संदीप की
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अनु ने लम्बा सा टेक्स्ट किया: " हुर्रे!!हिप-हिप हुर्रे !!
अनिल ने बेमन से ही सही, पर हाँ कर दी है।एक और ख़ुशख़बरी वो अपनी फैक्टरी के हॉस्पिटल में ऑपरेशन्स के लिए आपरेशन थियेटर का इस्तेमाल करने देने के लिए भी राज़ी हो गए हैं,और तो और वेलफ़ेयर फ़ंड से भी एक लाख रुपए दिलाने का वादा किया है,हर साल।अब बताओ आगे क्या और कैसे करना है ?
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अनु ने लम्बा सा टेक्स्ट किया: " हुर्रे!!हिप-हिप हुर्रे !!
अनिल ने बेमन से ही सही, पर हाँ कर दी है।एक और ख़ुशख़बरी वो अपनी फैक्टरी के हॉस्पिटल में ऑपरेशन्स के लिए आपरेशन थियेटर का इस्तेमाल करने देने के लिए भी राज़ी हो गए हैं,और तो और वेलफ़ेयर फ़ंड से भी एक लाख रुपए दिलाने का वादा किया है,हर साल।अब बताओ आगे क्या और कैसे करना है ?
बहुत व्यस्त चल रहे हैं अनिल आजकल। एक तो मंत्री जी यहीं आकर जम गए हैं,और ऊपर से फैक्ट्री की टेंशन अलग। मुझे तो कई बार लगने लगता है आखिरकार अपना मानसिक संतुलन कैसे बनाये रखते हैं अनिल। एक भी दिन रेस्ट नहीं है, ना कोई सैटरडे ना संडे.....कल सुबह की ही बात ले लो मंत्री जी ने पूरी रिपोर्ट अपने होटल में मंगा ली और टाइम भी कैसा दिया? पता है, बोले सुबह 7:35 पर आ जाना, बेचारे अनिल रात भर पढ़ते लिखते रहे।"
और वो मन्त्री.....आँखों में देखता है ,सब कुछ पढ़ लेता है इन्सान का, बिना कहे सुने,अनिल कहते हैं उसके पास डिवाइन पावर है।दरअसल सरकार की इज़्ज़त का सवाल है अच्छे अच्छे कारखाने प्राइवेट ऑर्गनाइजेशन झटक लेते हैं, बस इसी लिए सब लगे पड़े हैं ।
और वो मन्त्री.....आँखों में देखता है ,सब कुछ पढ़ लेता है इन्सान का, बिना कहे सुने,अनिल कहते हैं उसके पास डिवाइन पावर है।दरअसल सरकार की इज़्ज़त का सवाल है अच्छे अच्छे कारखाने प्राइवेट ऑर्गनाइजेशन झटक लेते हैं, बस इसी लिए सब लगे पड़े हैं ।
अनु के मैसेज पढ़ते ही संदीप फिर से सोच में खो गया कमाल लिखती है .....उसे दिखने लगी अनिल की फैक्ट्री, जो समन्दर और महानदी के संगम पर थी ,वहां पर खड़े सैकड़ों ट्रक,अब वो उस सेठ को भी इमैजिन करने लगा जो बहुत गुस्से वालाथा।साथ ही उसके खयालों में अनु का गेस्ट हाउस भी आ गया वो बरबस मुस्कुरा उठा।
उसे अपनी प्रोजेक्ट मैनेजर इतनी ही स्मार्ट चाहिए।किसी भी हाल में अब उड़ीसा पर पूरा फ़ोकस करना है।
संदीप ने लिखा था, "समझ सकता हूं किसी भी बड़े काम को करने के लिए कुछ लोगों की रात दिन की मेहनत छुपी होती है।
मैं सोचता हूं अनिल कितने लकी हैं,जिसको तुम्हारी जैसी बीवी मिली. कम से कम तुम समझती तो हो,कंप्लेन नहीं करती।"
उसे अपनी प्रोजेक्ट मैनेजर इतनी ही स्मार्ट चाहिए।किसी भी हाल में अब उड़ीसा पर पूरा फ़ोकस करना है।
संदीप ने लिखा था, "समझ सकता हूं किसी भी बड़े काम को करने के लिए कुछ लोगों की रात दिन की मेहनत छुपी होती है।
मैं सोचता हूं अनिल कितने लकी हैं,जिसको तुम्हारी जैसी बीवी मिली. कम से कम तुम समझती तो हो,कंप्लेन नहीं करती।"
अनु ने लिख डाला था जस का तस, "बिकरिंग करने से क्या होगा ? कुछ फायदा हो तो जरूर शिकवा शिकायत करूँ। सोचती हूँ, अनिल की हेल्प नहीं कर सकती तो कम से कम इतना तो कर सकती हूँ ना कि घर में शांति बनाए रक्खूं।
मैं समझ नहीं पाती हूं आप कैसे अपना काम मैनेज करते हैं,संदीप ! मेरा मतलब है यू एस में रहकर इंडिया के लिए काम करना मुश्किल नहीं होता होगा क्या ?"
मैं समझ नहीं पाती हूं आप कैसे अपना काम मैनेज करते हैं,संदीप ! मेरा मतलब है यू एस में रहकर इंडिया के लिए काम करना मुश्किल नहीं होता होगा क्या ?"
संदीप ने कहा था, "कहीं ना कहीं दिल में इंडिया जो बसा हुआ है, वही ख़ूब अच्छे से काम करा ले जाता है।
अनु ! मुझे तुमसे एक हेल्प चाहिए. क्या तुम कल ही अपने आसपास के किसी गांव में सर्वे करके आ सकती हो?
मेरा मतलब है कि तुम्हें वहां की जनसंख्या, उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति देखनी है। साथ ही स्त्री और पुरुषों का अनुपात भी. प्लीज़ इतना फेवर कर दो।"
अनु ! मुझे तुमसे एक हेल्प चाहिए. क्या तुम कल ही अपने आसपास के किसी गांव में सर्वे करके आ सकती हो?
मेरा मतलब है कि तुम्हें वहां की जनसंख्या, उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति देखनी है। साथ ही स्त्री और पुरुषों का अनुपात भी. प्लीज़ इतना फेवर कर दो।"
अनु ने कहा "ठीक है, नेकी और पूछ पूछ. मैं तो खुद ही यही सोच रही थी,पहले गांव देख कर आऊँ।"
संदीप : "तो फिर कल दोपहर 12:00 बजे तक रिपोर्ट करना, मैं इंतजार करूंगा और आज के क्या प्लान हैं?
अनु : "कुछ खास नहीं. आज तो सारा दिन बस यूं ही बिता दिया।दरअसल कल आर्यन का बर्थडे है। उसकी बहुत याद आ रही थी. अगर पास होता तो कितनी धूमधाम से हम बर्थडे मनाते।
न जाने क्यों अनिल आर्यन को यहां नहीं आने देना चाहते।"
न जाने क्यों अनिल आर्यन को यहां नहीं आने देना चाहते।"
संदीप : "हां मैं समझ सकता हूं, बच्चे से दूरी क्या होती है पर तुम तो बहुत एक बहादुर माँ हो।"
अनु सोच में पड़ गई, कैसे बताऊं कि अनिल को तो मुझ पर भरोसा ही नहीं रहा कि मैं उनके छोटे बच्चे को ठीक से पाल भी पाऊंगी या नही।बेटे की याद से मन कसक उठा, उसकीआंखों मेंआंसू आ गए। दिमाग़ में ख़यालआया क्यों न गांव के बच्चों के लिए चॉकलेट्स ले ली जाएं और सॉफ्ट ड्रिन्क्स भी. बच्चों को बहुत मज़ा आएगा।
अनु ने अनिल के सेक्रेटरी को फोन लगाया और कहा, "महापात्रा जी, प्लीज़ क्या आप हमारे लिए ड्राइवर अरेंज कर देंगे?
हम सभी लेडीज़ महानदी के पास जो गांव है वहां जाना चाहते है और हां ड्राइवर ऐसा दीजिएगा जो हिंदी भी समझता हो।"
हम सभी लेडीज़ महानदी के पास जो गांव है वहां जाना चाहते है और हां ड्राइवर ऐसा दीजिएगा जो हिंदी भी समझता हो।"
"जी मैडम ! हो जाएगा मुझे 5 मिनट दीजिए।" महापात्रा जी ने जवाब दिया था।........शेष फ़िर प्रीति मिश्रा
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