(लघु कथा)
*****इतनी सी बात*****
निम्मी ने पूरे परिवार के सामने कह दिया,अब निशान्त के साथ रहना मुश्किल है आप लोग कुछ करें वरना वो तलाक की अर्जी दे देगी।
पुरातनपंथी परिवार पर गाज गिरी, इसलिए सभी समझदार बुज़ुर्गों की आपातकालीन बैठक बुलाई गई।निम्मी की सास भी आईं।
शाम को निम्मी भी आई( क्लांत मुख पिछले एक वर्ष में अपने सौंदर्य की आभा खो चुका था।)
दादी ने बात छेड़ी
बेटा! क्या वजह है जो तुम खुश नहीं?
फिर खुशी अपने मन की होती है
चाची ने कहा
"तुम्हारा तो प्रेम विवाह है। तुम्हारा दोस्त है निशान्त"
पुरातनपंथी परिवार पर गाज गिरी, इसलिए सभी समझदार बुज़ुर्गों की आपातकालीन बैठक बुलाई गई।निम्मी की सास भी आईं।
शाम को निम्मी भी आई( क्लांत मुख पिछले एक वर्ष में अपने सौंदर्य की आभा खो चुका था।)
दादी ने बात छेड़ी
बेटा! क्या वजह है जो तुम खुश नहीं?
फिर खुशी अपने मन की होती है
चाची ने कहा
"तुम्हारा तो प्रेम विवाह है। तुम्हारा दोस्त है निशान्त"
माँ ने रोते हुए कहा "निम्मी हमारी नाक कट जाएगी"
निम्मी की सास ने प्यार से पूछा" क्या तुम्हें लगता है निशान्त तुमसे कम कमाता है। अगर तुम चाहो तो ऑफिस के पास फ्लैट दिलवा दें जो हमारा है सब निशान्त और तुम्हारा बेटा!!"
शान्त सी निम्मी ने के गहरी सांस ली और न में सिर हिलाते हुए कहा....नहीं माँ ऐसी कोई बात नहीं।
पिछले एक वर्ष से बड़ी घुटन हो रही है,मेरा काम बाहर का है निशान्त का वर्क फ्रॉम होम।
पिछले एक वर्ष से बड़ी घुटन हो रही है,मेरा काम बाहर का है निशान्त का वर्क फ्रॉम होम।
जब सुबह जाती हूँ तो घर ठीक कर के उसका नाश्ता रख कर जाती हूँ।
वापस आती हूँ घर कूड़ा,अक्सर वो सो रहा होता है।
अगर कुछ कहने की कोशिश करो तो माँ बहन की गालियों पर रिसर्च है उसके पास।
हफ्तों मुहँ फुला कर बात नहीं करता ,ग़लती किसी की हो सॉरी मुझे ही बोलना है।
जब से पति बना कभी प्यार से गले नहीं लगाया, इससे तो दोस्त भला था।
माँ उसने मुझे धोखा दिया।
वापस आती हूँ घर कूड़ा,अक्सर वो सो रहा होता है।
अगर कुछ कहने की कोशिश करो तो माँ बहन की गालियों पर रिसर्च है उसके पास।
हफ्तों मुहँ फुला कर बात नहीं करता ,ग़लती किसी की हो सॉरी मुझे ही बोलना है।
जब से पति बना कभी प्यार से गले नहीं लगाया, इससे तो दोस्त भला था।
माँ उसने मुझे धोखा दिया।
बस!!इतनी .....सी बात......शब्द आपस में गड्ड मड हो अपनी निरर्थकता बयान करने लगे।
सभी लोग एक विचार के झटके से एक साथ अलग अलग मनःस्थिति से गुजरे।
परिणामस्वरूप,
कुछ मुख खुले रह गए,
कुछ ने आंखे पोंछी,
कुछ सिर झुक गए।
निम्मी की सास ने कहा बस एक मौका और दो बेटा ,मैं समझ गई सब, वे किसी मैरिज काउंसलर से निशान्त के अपॉइंटमेंट की तारीख लेने लगीं।
सभा बिन बोले बर्खास्त हुई।
................................प्रीति मिश्रा 13 2 2019
परिणामस्वरूप,
कुछ मुख खुले रह गए,
कुछ ने आंखे पोंछी,
कुछ सिर झुक गए।
निम्मी की सास ने कहा बस एक मौका और दो बेटा ,मैं समझ गई सब, वे किसी मैरिज काउंसलर से निशान्त के अपॉइंटमेंट की तारीख लेने लगीं।
सभा बिन बोले बर्खास्त हुई।
................................प्रीति मिश्रा 13 2 2019
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