Sunday, May 31, 2020


कुत्ते
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छोटे अनीश ने अपने  दादू से पूछा "दादू आज कौन सी कहानी सुनाएंगे. रामचंद्र जी की या कृष्ण की ."
"तुम बताओ किसकी कहानी सुनना चाहते हो जो कहोगे वही सुनाऊंगा."
 "पहले यह बताइए ये सतयुग और कलयुग क्या होता है मतलब इसके पीछे क्या कांसेप्ट है."
दादू सोच में पड़ गए, फ़िर बोले " मेरे हिसाब से मानव  सभ्यता को हमारे  गणितज्ञों ने चार भागों में बांट दिया था. सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग."
कहते हैं एक एक युग कई लाख वर्षों का होता है
" मोटा मोटा ऐसा समझ लो कि समय को चार भागों  को बाँट  दिया गया है सतयुग को  न्याय और धर्म का युग कहा जाता है."
 अनीश रजाई से निकलकर उठ कर बैठ गया.

" दादू रामचंद्र जी  सतयुग में हुए थे ना इसीलिए मुझे रामचंद्र जी  की कहानियाँ सबसे  ज्यादा पसंद है.
 वो राक्षसों को अपने तीर कमान से मार देते थे उन्हें किसी से डर नहीं लगता था."
बेटा मनुष्य के जीवन में अक्सर ऐसी घटनाएं हो जाती हैं कि क्या सही है और क्या गलत फैसला करना मुश्किल हो जाता है.
 देखो किसी को मारना यूं तो सही नहीं है,  क्योंकि जीवन देने वाला तो ईश्वर है किसी की जान लेने का मनुष्य को कोई हक नहीं है. लेकिन जब परिस्थितियां ऐसी बन  पड़े कि कोई चारा ही ना बचे तो यह गलत भी नहीं है.

" दादू कल मेरे पाँव में एक मोटे चींटे ने काट लिया था   जब मैंने पांव से से छुड़ाया वह मर गया क्या मुझे पाप लगेगा?"
 अनीश कुछ कहता कहता अटक गया "दरअसल उस चींटे की दो टांगे टूट गई थी और मुझे लगा अब इसको बड़ी देर तड़पना पड़ेगा. दादू उसको मैंने चप्पल से दबाकर मार दिया. मैं उसे मारना नहीं चाहता था. क्या उसे नया जन्म मिल गया होगा? "
 दादू ने अनीश के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा तुमने  कोई गलत काम नहीं किया है .
 "मेरा एक और प्रश्न है दादू."
"बेटा आप सो जाओ. "
" दिस इज़ द लास्ट क्वेश्चन प्लीज़, वो महाभारत में दिखा रहे थे ना कि द्रौपदी कृष्ण भगवान से हेल्प मांगती है और भगवान जी उसकी साड़ी को लंबा कर देते हैं फ़िर   खूब लम्बा करते  जाते हैं दादू कृष्ण  इतने पावरफुल थे तो उन्होंने उस दिन दुःशासन को क्यों नहीं मार दिया था अगर  उसको मार देते महाभारत ही ना होती."

 दादू सोच में पड़ गए कि क्या उत्तर दें.
 "आप ही ने तो बताया था ना कि कृष्ण भगवान केशव इसलिए कहलाए उन्होंने कंस मामा को मारने के बाद उसके शव को केशों से  पकड़कर खींचा था."
 "जब बचपन में इतने पावरफुल थे बड़े होकर द्रौपदी के दुश्मन को क्यों नहीं मारा. वो तो कृष्ण जी को अपना बेस्ट फ़्रैंड मानती थी."
"मैं शर्त लगा सकता हूं अगर रामचंद्र जी होते तो  अवश्य ही अपना तीर कमान निकालकर दुःशासन को दंडित करते जैसा उन्होंने बाली शूपर्णखा के टाइम किया  था."

अरे !बाबा तुमको इतनी कहानियाँ कहाँ से पता हैं.

अनीश शरमाया और बोला" कार्टून नेटवर्क पर भी  देखता हूँ."
"ओ. के. अब कल से तुम मुझे कहानियाँ सुनाना." 
"मैं आपको स्पाइडर मैन की कहानी सुनाऊंगा. "
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समय बीता अनीश ने एन. डी. ए. की परीक्षा पास की.आगे जाकर उसका सलेक्शन कमांडो की ट्रेनिंग के लिये हो गया है.उसमें कुछ कर दिखाने का जज़्बा कूट कूट कर भरा है. दादू ने कहा था वे उसे एक दिन सबसे ऊँचे पद  पर देखना चाहते हैं.
दादू को याद कर के उसकी आँखें नम हो आयी हैं.

ट्रेनिंग पर जाने से पहले वो दिल्ली आ गया है.
 उसको वीज़ा भी लगवाना है. विदेश जाने के नाम से  ही वो बहुत खुश है . उसने अपनी छुट्टी में दोस्तों के साथ मौज़ मस्ती में बिताने की सोची है.
सारा दिन क़ुतुब मीनार के आसपास घूमने के बाद उसने
राघव के घर का रुख किया, जो बिलकुल पास ही सौ फुटा रोड पर रहता है. आज वो राघव की बाइक से आया था. सडक पार बाइक धीमे कर वो अपने घर फ़ोन लगाने के लिये रुका कि उसे पेड़ के नीचे एक मोबाइल और लेडीज़  पर्स पड़ा दिखाई दिया.
अब वो चौकन्ना हो कर चारों ओर देखने लगा.
अचानक उसने देखा कि बाइक की  रौशनी से सामने कीओर कुछ आवाज़े आने लगीं.मानों कोई शैतानी हंसी हँस रहा हो उसने चारों ओर बाइक की लाइट्स घुमाई. लाइट देख कर कुछ हलचल  हुई.
अनीश जोर से चिल्लाया कौन है?
 तभी एक तीस  पैंतीस वर्ष की युवती बेहद डरी हुई सड़कों पर बदहवास सी दौड़ती हुई दिखाई दी . उसके होठों से खून निकल रहा था, आँखों के नीचे चोट के निशान थे उसकी शर्ट के बटन खुले हुए थे.
उसके पीछे दो लड़के भी उसे धमकाते हुए दौड़ रहे थे.
"रुक जा भाग के कहाँ जाएगी."

बड़ी फुर्ती से अनीश अपनी बाइक से लड़कों और उस युवती  के बीच दीवार बन कर खड़ा हो गया.
अनीश को देख दोनों लड़के एक पल तो सकपका गए फ़िर बोले "तू अपना रास्ता  नाप भाई !हमारे चक्करों में ना पड़. बड़ी मुश्किल से हाथ आयी है."
"ये हमारी सड़क है."
"सड़केंऔर इलाके  कुत्ते बांटते हैं."अनीश बोला
अनीश ने लड़की को इशारा किया "आप जाइये मैं इन्हें रोकता  हूँ."
लड़की पेड़ के नीचे से अपना मोबाइल और बैग उठा कर बेतहाशा भाग ली. इधर एक लड़के ने क्रोध में आकर चाक़ू निकाल लिया था.
जिसे अनीश ने  अगले पल ही  छीन कर बड़ी दूर फेंक दिया.
करीब आधा घंटे हाथापाई में एक लड़का बीच में ही अपनी जान छुड़ा कर भाग गया.
शायद अपने साथियों  को बुलाने गया था.
दूसरे  युवक को अनीश ने पकड़ कर अपने काबू में कर लिया था. तभी पुलिस की  जीप आ गई. जिसे युवती ने फ़ोन करके बुलाया था. अनीश को भी हल्की फुल्की चोटें आयी थीं.
किन्तु लड़की की जान बच गई इसलिए वो अपना सारा  दर्द भूल गया था.
पूरी रात थाने में ही कटी. पुलिस वाले एफ़. आई. आर लिखने से कतरा रहे थे और युवती ज़िद पकड़ कर बैठी थी कि  अगर रिपोर्ट नहीं लिखी जाएगी तो वो अन्न जल  ग्रहण नहीं करेगी. यहीं बैठी रहेगी.
आखिरकार सुबह छेड़खानी की रिपोर्ट लिखी गई.
दोनों युवकों को छेड़खानी के आरोप में जेल में डाल दिया गया.
वे दोनों किसी ठेकेदार के बेटे थे.
 बाद में सुनने में आया कि  वे रिहा हो गए हैं.
अनीश इस किस्से को भूल कर अपनी नौकरी में लग गया.

पर अवचेतन मन में कभी कभी  चलता रहता था कि उस युवती का क्या हुआ होगा?  उसकी शक्ल अब भी आँखों के आगे से हटती नहीं थी. कैसे उसके होठों से खून बह रहा था. उसके चेहरे पर चोट के निशान अच्छी भली सूरत  को वीभत्स बना गए थे.
वो पुलिस इंस्पेक्टर कितना मजबूर दिखाई दे रहा था. यह कहते हुए कि "आये दिन यहाँ पर रेप केसेज़ होते रहते हैं हमारी तो नौकरी ही मुश्किल कर दी है ऐसे  दुष्टों ने."
करीब दो वर्ष बाद
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राघव की शादी  का कार्ड आया है. उसने बहुत ज़िद की है प्लीज़  शादी में ज़रूर आना.
 दरअसल राघव की होने वाली पत्नी इशिता भी उसकी कॉमन फ्रैंड है इसलिए जाना तो बनता है.
अनीश ने  छुट्टी ले ली है. ना जाने क्यों अब दिल्ली से जी उचट गया है.
शादी का दिन नज़दीक आ गया. मोबाइल में हर फंक्शन के अपडेट देख देख कर अनीश भी उत्साहित हो उठा है.
उसने पीले रंग का सिल्क का कुरता और सफ़ेद चूड़ीदार पजामा पहनकर राघव को हल्दी की रस्म पर सरप्राइज़ देनी की सोची है.
आखिरकार राघव के दोस्त को भी अच्छा  दिखना चाहिए. यहाँ फ़ौज में तो लड़कियों का अकाल पड़ा है शायद इशिता की कोई सहेली की नज़र उस पर  पड़ जाए.

अनीश मन ही मन ख़याली पुलाव पका रहा है.
एयरपोर्ट से राघव के घर की दूरी सिर्फ़ बीस मिनटों की है. वो टैक्सी खड़ी करके अपना सामान पीछे डिक्की से निकालने लगा कि  किसी ने उसे आवाज़ दी.
वो जैसे ही पीछे मुड़ा कि उसके  ऊपर किसी ने लोहे की रॉड से हमला कर दिया था.  उसकी टांगों पर बराबर प्रहार करते हुए लड़के  कह रहे थे "बहुत हीरो बनता है तुझे तो जीते जी मार देंगे. हमें जेल कराने चला था."
"ना तू जी पाएगा ना मर पायेगा. "
ये वही लड़के थे, जिनसे उसने उस युवती को बचाया था. उसने बेहोश होने से पहले देखा.
कायर कहीं के !इसके साथ ही उसकी आंखे बंद हो गईं.उसे होश ना रहा. उसके गिरते ही अफ़रातफ़री मच गई. सिल्क का पीला कुरता खून से चिपक कर भूरा सा हो गया है और सफ़ेद पायजामा लाल रंग में रंग गया है.
राघव और इशिता अपनी शादी के दिन मिलिट्री हॉस्पिटल में बैठे आँसू बहा रहे हैं.
करीब एक महीने तक अस्पताल में रहने के बाद अनीश ने बैसाखियों से चलना शुरू कर दिया. पूरी रिकवरी में एक वर्ष लग गया है.
उसकी पोस्टिंग सीमा से हटाकर किसी छोटे शहर के ऑफिसर्स मेस में कर दी गई.
आख़िर किस बात की  सज़ा  मिली है उसे?
सिर्फ़ एक लड़की की जान बचाने का कुसूर था उसका या कुछ और?
ये कैसी  व्यवस्था  है कि  गुनहगार बाहर निकल आते हैं?
और फ़िर से उनके हौसले बुलन्द  होते जाते हैं.
इस समाज में कब तक लोग डर डर के रहेंगे?
कुछ ऐसे प्रश्न  हैं जिनके उत्तर किसी के पास नहीं हैं.
अब अनीश ने योगा करना शुरू कर दिया है और ऑफिसर्स मेस के सभी कर्मचारियों को भी ध्यान लगाना सिखा रहा है.
धीरे धीरे उसकी चाल पहले जैसी हो गई कोई कह ही नहीं सकता था कि मेजर अनीश के घुटनों की  हड्डियाँ कभी चकनाचूर हो गई थीं.
अभी कुछ दिनों पहले उसे ब्रिगेडियर  साहब ने खुशखबरी दी कि उसकी पोस्टिंग एक वर्ष के लिये कोरिया में की  जा रही है." ये टिकेट्स पकड़ो और दिल्ली जाकर वीसा लगवा लो."
"येस सर !!"
अनीश की आवाज़ में बड़े दिनों बाद उत्साह आया है. पिछले चार साल खाना बनवाते और हाउस कीपिंग  सँभालते गुज़रे थे.
"सर !!मैं एक हफ़्ते की छुट्टी चाहता हूँ मां से मिल आऊं."
"हाँ क्यों नहीं?"
"कहाँ है तुम्हारा घर?"
"जी भोपाल में."
"ओह, नाइस नवाबों के शहर से हो."
"गुड !!"
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अनीश दिल्ली  एयरपोर्ट से सीधा वीसा का काम कराने गया.अभी शाम के पांच बजे थे. उसने राघव से कहा" प्लीज़ अपनी बाइकर जैकेट और पैंट ला दोगे."
"और हां हैलमेट और जूते भी."
"क्या यार तेरा बाइक चलाने का शौक़ ख़त्म नहीं होगा."
अनीश हँस पड़ा." बहुत धीरे चलाऊंगा. अपनी जान प्यारी है मुझे."
"और हाँ कल सुबह किसी से तेरे घर भिजवा  दूंगा."
"तू  नहीं  बदलेगा साले !"
राघव ने हंसी उड़ाई.
शाम धुंधला गई थी.अनीश ने बाइक सौ फुटा रोड की ओर दौड़ाई. यहीं से उसकी ज़िन्दगी के पांच वर्ष बर्बाद हो गए थे. वो बराबर वहां के चक्कर लगाता रहा.
अचानक उसकी निगाह एक खुली जीप पर पड़ी.उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी.
 वे दोनों ठेकेदार के लड़के एक खुली जीप से उतरे,  बाहर आकर पुलिया पर बैठे थे. ये उनकी वर्षों पुरानी जगह थी. एक के हाथ में बीयर की बोतल थी दूसरे के हाथ में बिरियानी का मटका था.
अनीश ने तुरंत ही फैसला ले लिया अपनी बाइक को थोड़ी दूर पेड़ों के झुरमुट में छिपा  दिया.फ़िर उसने ओला से कैब मंगवाई और  वापस जीप से पांच सौ मीटर दूरी पर उतर गया. उसने अपना चेहरा हेलमेट से ढंक रखा था.कैब  के ओझल होते ही वो रोड के खाली होने का इंतज़ार करने लगा. सर्दियों की रात में ये रोड वैसे भी खाली पड़ी रहती थी.

करीब एक घंटे के बाद
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मौका पाते  ही वो खुली जीप में जा बैठा,जीप की चाभी इग्निशन में पहले से ही लगी हुई थी. दोनों युवक लापरवाही से पीने पिलाने का आनन्द उठा रहे थे. उसने बिना वक्त बर्बाद किये जीप को रिवर्स गेयर में डाला. दोनों युवक अचानक हुई इस घटना से अपनी जीप की ओर भागने लगे.
अरे !अरे ! क्या कर रहे हो.....उनकी बात अधूरी ही रह गई.
 अनीश ने अचानक गेयर बदला और फोर्थ गेयर डाल कर जीप उन दोनों दुष्टों के ऊपर चढ़ा दी. खून के फ़व्वारे रात्रि की कालिमा में सडक को भिगोते रहे.
कमांडो अवनीश ने अपनी बाइक तक की दूरी सिर्फ़ एक मिनट में दौड़ कर  तय कर ली थी. वहां से उसने सीधे गेस्ट हाउस का रुख किया.
गेस्टहाउस में रात का डिनर लेने के बाद वो रात बारह बजे कोरिया के लिये उड़ चला. आज उसके दिल से एक बोझ उतर गया था.
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सुबह चार बजे पुलिस का गश्ती दल  जब उधर से निकला तो जीप के नीचे युवकों की लाश पर निगाह गई.

सिपहियों की इत्तला पर पुलिस चौकी से पुलिस इंस्पेक्टर ने आकर मुआयना किया और बेसाख्ता उसके मुंह से निकला "कुत्ते थे कुत्तों की मौत ही मरे पाए गए."
अगले दिन के अखबारके तीसरे पेज़ के कोने में छपा कि नशे में धुत्त युवकों की लाश उनकी ही जीप के नीचे संदिग्धावस्था में पायी गई .
समाप्त

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